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इटावा: राम मंदिर के जवाब में अखिलेश यादव का शिवालय, इटावा में अखिलेश यादव बनवा रहे शिव मंदिर।

संवाददाता:एम.एस वर्मा (6397329270)


इटावा में सपा मुखिया अखिलेश यादव भव्य शिव मंदिर बनवा रहे हैं। हाल ही में बजट सत्र के दौरान अखिलेश ने कहा था, हम पहले शिव मंदिर जाएंगे, उसके बाद रामलला के दर्शन करने जाएंगे। इस बयान के बाद अब इटावा के केदारेश्वर भोलेनाथ मंदिर की चर्चांए भी शुरू हो गई हैं।


निर्माण में मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली शालिग्राम की शिला भी नेपाल के पोखरा से लखनऊ पहुंच चुकी है। जिसका पूजन मंगलवार को अखिलेश यादव और राज्यसभा चुनाव में सपा की प्रत्याशी जया बच्चन समेत तीनों प्रत्याशियों ने किया है।


अब शिल्पकार की जुबानी मंदिर की भव्यता और खासियत...

सबसे पहले मंदिर की भव्यता

शिव शक्ति अक्ष रेखा पर बन रहा मंदिर

भगवान शिव का ये मंदिर लोहन्ना चौराहे से ग्वालियर जाने वाले हाईवे पर बनी लायन सफारी के ठीक सामने 2 एकड़ में बन रहा है। 2020 में अखिलेश ने मंदिर का भूमि-पूजन किया था। ये मंदिर देश की शिव शक्ति अक्ष रेखा के ऊपर बन रहा है।


देश में बने भगवान शिव के प्रमुख 8 मंदिर भी इसी रेखा पर स्थित हैं। केदारेश्वर मंदिर उत्तराखंड में बने केदारनाथ मंदिर का दूसरा रूप होगा। मंदिर का निर्माण मदुरै, कन्याकुमारी के वही शिल्पकार कर रहे हैं, जिन्होंने तमिलनाडु के प्रसिद्ध कवि तिरुवल्वम के स्टैच्यू को बनाया था।


मंदिर निर्माण में जुटी कन्याकुमारी से आई 50 शिल्पकारों की टीम को लीड कर रहे उमा शंकर ने बताया, "मंदिर का निर्माण करीब 85 फीसदी पूरा हो चुका है। एक महीने में इसके मुख्य प्रांगण का निर्माण पूरा होने की उम्मीद है। लेकिन बाहरी दीवार और अन्य निर्माण धीरे-धीरे चलते रहेंगे। जिसका अंतिम रूप देने में अभी एक साल लग जाएगा। मंदिर की अभी तक अनुमानित लागत करीब 50 से 55 करोड़ है।"


3 नंदी प्रतिमाएं होंगी, 13 फीट की होगी ऊंचाई

उमा शंकर ने बताया, इस मंदिर की ऊंचाई 72 फीट होगी। केदारनाथ मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर गर्भगृह तक जो मूर्तियां-कलाकृतियां स्थापित हैं। ठीक उसी प्रकार से केदारेश्वर मंदिर की कृति तैयार हो रही है। केदारेश्वर मंदिर में 3 नंदी स्थापित किए जाएंगे। पहले मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही नंदी दिखाई देंगे।


इनकी ऊंचाई 13 फीट है। ऐसी ही नंदी की प्रतिमा 1659 ई.पू. में मैसूर के एक मंदिर में वोडेयार राजवंश के राजा देवाराज वोडेयार ने स्थापित करवाई थी। दूसरे नंदी मंदिर के कंपाउंड में प्रवेश करते ही स्थापित किए गए हैं। जिनकी ऊंचाई 7 फीट है और गर्भगृह में प्रवेश करते ही एक 3 फीट के नंदी स्थापित करवाए जाएंगे।


75 हजार टन पत्थर कन्याकुमारी से लाया गया

इस मंदिर के निर्माण में करीब 500 ट्रक कृष्ण पुरुष शिला पत्थर तमिलनाडु से इटावा लाया गया है। जिसका अनुमानित वजन 75 हजार टन है। मंदिर निर्माण में 3 यूनिटें काम कर रही हैं। एक यूनिट इटावा में है, जिसमें 50 से अधिक कारीगर लगे हुए हैं।

2 यूनिट तमिलनाडु के कन्याकुमारी में लगी हैं, जिसमें करीब 300 कारीगर और तमिल शिल्पकार लगे हुए हैं। जो दिन-रात पत्थरों को तराश रहे हैं। तब जाकर इटावा में इन पत्थरों को फाइनल टच दिया जा रहा है।


प्रवेश के लिए होंगे 4 द्वार

मंदिर के मुख्य परिसर के चारों ओर 15 फीट ऊंची और 5 फीट चौड़ी पत्थर की कंपाउंड बाउंड्री वॉल बन रही है। मंदिर में प्रवेश और निकासी के लिए 4 द्वार होंगे। जिनकी ऊंचाई 25 फीट होगी। जो बिल्कुल आंध्र प्रदेश के भव्य मंदिरों के तर्ज पर दिखाई देंगे। मंदिर प्रांगण में औषधीय पौधे लगाए जाएंगे।


अब पढ़िए मंदिर की खासियत...

केदारेश्वर भोलेनाथ मंदिर के निर्माण का विजन हजारों साल का है। मंदिर में इस्तेमाल किए जा रहे विशेष पत्थर का नाम है कृष्ण पुरुष शिला...जिसे कन्याकुमारी से लाया जा रहा है। ये पत्थर देश में सिर्फ तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में मिलता है और पूरी दुनिया में निर्यात किया जाता है।

इस पत्थर की आयु 3 से 5 लाख साल है। पूरे केदारेश्वर मंदिर का निर्माण इसी पत्थर से हो रहा है। इस पत्थर की एक और विशेषता है कि इस पर पत्थर मारने से अलग और लोहे से मारने पर घंटे जैसी ध्वनियां सुनाई देती हैं।

तमिल की ट्रेडिशन श्रीबंधन टेक्नीक से हो रहा निर्माण

इस मंदिर की खासियत ये भी है कि मंदिर के मूल ढांचे में कहीं भी ईंट, लोहा, सीमेंट, मौरंग का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। बल्कि विशेष प्रकार के तमिल ट्रेडिशन श्रीबंधन का इस्तेमाल पत्थर जोड़ने के लिए किया जा रहा है। जिसमें पत्थरों को जोड़ने के लिए चूना, गुड और केले से तैयार पेस्ट इस्तेमाल किया जाता है। यह मंदिर पूरी तरह से भूकंप-रोधी है।

मंदिर के गर्भगृह में करीब 7 फीट के सालिग्राम पत्थर की शिला स्थापित होगी। ये शिला लखनऊ पहुंच चुकी है। यही शिला यहां से इटावा ले जाकर केदारेश्वर मंदिर में स्थापित की जाएगी।

शिल्पकार बोले- अखिलेश पर है ईश्वारीय कृपा, तभी बन रहा मंदिर

शिल्पकार उमा शंकर ने बताया, "केदारेश्वर मंदिर का निर्माण इटावा में होना एक असंभव सी बात थी, लेकिन अखिलेश यादव के विजन और विश्वास के चलते यहां पर इस तरीके का भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। पूरे भारत में इस पत्थर से निर्मित इतना भव्य मंदिर कहीं भी स्थापित नहीं है। यह मंदिर केदारनाथ की दूसरी कृति के तौर पर तैयार किया जा रहा है। ईश्वरीय कृपा है जो अखिलेश यादव का एक संकल्प और सपना साकार होता हुआ दिख रहा है।"

शक्तिपीठ जितना शक्तिशाली होगा धाम

मंदिर की देखरेख में लगे नीलेश ने बताया, " अखिलेश यादव की तरफ से बनवाया जा रहा ये मंदिर भव्य और प्राचीन कला को दिखाएगा। यह प्रदेश के लिए गर्व की बात है। इस मंदिर में वे सारी खूबियां होंगी, जो प्राचीनकाल के मंदिरों में होती थीं। बहुत दूर से इस मंदिर में पत्थर लाए जा रहे हैं। इस मंदिर को शक्तिपीठ का ही दर्जा होगा।"

शिल्पकार की मानें तो जिस तेजी से मंदिर का निर्माण दिन रात चल रहा है, उसके हिसाब से एक महीने में मुख्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। सपा मुखिया अखिलेश यादव जल्द ही मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का ऐलान कर सकते हैं।




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