संवाददाता: विजय कुमार मिश्रा
प्रयागराज के बीएसए प्रवीण तिवारी एक फिर सुर्खियों में अब तो ये पूरी तरह से मतांन्ध हो चुके हैं और सुधार का कोई नामोनिशान नहीं नज़र आ रहा है जहाँ शिक्षिका शशी मिश्रा को लगातार प्रताड़ित करने का काम कर रहे हैं तो वहीं पुरुष वर्ग भी इससे अछूता नहीं है और तो और अब वह स्वयं एक दूसरे को गाली दे रहे हैं ब्राह्मण को ही शुद्ध बता रहे हैं यह सरासर मानवीय संवेदनाओं के खिलाफ़ है कामकाज की ये व्यवस्था युवाओं को डिप्रेशन और आत्महत्या के लिए उकसाने वाली है ये कार्य प्रणाली सरासर मानव सभ्यताओं के ख़िलाफ़ है और सबसे बड़ी बात ये है कि इसका खामियाज़ा आने वाली पीढ़ी को जिसमें कि हम सभी के बच्चे शामिल हैं उन सभी को भोगना होगा इस लिए समय रहते इसमें सुधार होना ही चाहिए और हर विषय विशेष के लिए सरकार को दोषी ठहराना भी ग़लत है क्योंकि हमारी आपकी भी कुछ समाज के प्रति नैतिक ज़िम्मेदारी है देश का आम नागरिक होने के नाते ही नहीं बल्कि इंसान और इंसानियत के नाते अब प्रवीण तिवारी जी की अति यह हो चुकी है कि उन्होंने अपना सीयूजी नंबर भी ब्लॉक कर दिया है या यूं कहे कि पत्रकारों को वह सुनना ही नहीं बल्कि देखना भी नहीं चाहते हैं इसलिए कि कहीं उनकी पोल न खुल जाए जबकि सरकार प्रशासन को लगातार यह निर्देशित करती है कि आप अपने सीयूजी नंबर पत्रकारों के लिए हमेशा खुले रखेंगे ताकि आम जनता की परेशानी सरकार तक पहुंच सके और शासन को भी इसकी जानकारी हो तो वही आम जनता को राहत मिल सके लेकिन साहब का शुरू से ही राग ढर्रा अलग है कभी दुर्गा शंकर मिश्रा जी को अपना चाचा बता कर धौंस जमायेगें तो कभी तानाशाही रवैया अपनायेगें उनका कहना है कि मैं बहुत ही अदना सा अधिकारी हूँ अगर ऐसा तो इनकी आय व्यय के लेखे जोखे की जांच होनी चाहिए और इनकी संपत्ति का विवरण भी तलब किया जाना चाहिए जो आज तमाशबीन हैं कल उनका तमाशा निश्चित है*