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इटावा/ चौबिया : दिल्ली से आया.. हत्या कर, दिल्ली वापस चला गया।

सम्बाददाता: एम.एस वर्मा (6397329270)



 1560 मिनट बंद रहे मोबाइल ने दिया क्लू  गया तो बोला कोर्ट जाते-जाते थक गया था।

''मैं कोर्ट की तारीख से थक चुका था। सोचा उसे मार डालूंगा, तो बदला भी पूरा होगा और विवाद भी खत्म हो जाएगा। इसके बाद मैंने पूरी प्लानिंग की। फिर दिल्ली से रात के अंधेरे में गांव पहुंचा। इसके बाद डॉक्टर के भाई की झोपड़ी में गया और उसे कुल्हाड़ी से काट डाला। इसके बाद मैं रात को ही दिल्ली वापस चला गया।''

ऐसा इटावा में प्राइवेट डॉक्टर के भाई की हत्या करने वाले शख्स का कहना है। वारदात के 14 दिन बाद पुलिस ने उसे बुधवार को गिरफ्तार किया। इस हत्याकांड के पीछे की वजह महज कुछ गज जमीन का टुकड़ा थी। पुरानी रंजिश के चलते एक शख्स हत्यारा बन गया।

• चलिए सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं मामले के बारे में सब कुछ

सबसे पहले क्राइम सीन : 24 जनवरी को हुई थी हत्या

इटावा में थाना चौबिया में मुगलपुरा गांव पड़ता है। यहां 24 जनवरी की सुबह एक झोपड़ी से लहूलुहान शव बरामद किया गया। सिर और सीने पर गहरे घाव के निशान मिले। उसकी पहचान गांव के प्राइवेट डॉक्टर मुश्ताक के बड़े भाई लियाकत हुसैन उर्फ दुर्रे (55) पुत्र हिदायत मुहम्मद के रूप में हुई।

मौके पर पहुंची पुलिस ने फोरेंसिक टीम के साथ-साथ डॉग स्क्वायड को बुलाया। करीब एक घंटे की जांच पड़ताल के बाद पुलिस ने कई एविडेंस कलेक्ट किए और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।

पत्नी ने अज्ञात के खिलाफ दी थी तहरीर

पुलिस पूछताछ में घरवालों ने बताया कि लियाकत गांव के बाहर अपना मकान बनवा रहे थे। वहीं पर खरफूस की झोपड़ी रखी हुई थी। उसी में सो रहे थे। जब सुबह उनकी बेटी निशा चाय पीने के लिए बुलाने ग‌ई, तो देखा उनका शव खून से लथपथ पड़ा था। मामले में लियाकत की पत्नी मीना बेगम ने अज्ञात के खिलाफ हत्या की तहरीर दी। इस पर पुलिस ने FIR दर्ज करते हुए जांच पड़ताल शुरू कर दी।

SSP संजय कुमार वर्मा ने लियाकत हत्याकांड के खुलासे के लिए SOG, सर्विलांस और लोकल थाने की पुलिस टीम का गठन किया। टीमों को कई दिशा-निर्देश दिए गए। इसके बाद पुलिस ने मुखबिरों के नेटवर्क को एक्टिव किया। वहीं गांव के लोगों से पूछताछ शुरू की।


सोते समय की गई थी हत्या

पूरे मामले में पुलिस ने कई प्वाइंट बनाए। इसमें पहले घर-परिवार के लोगों के आपसी संबंधों की टोह ली गई। इसके साथ ही पुरानी रंजिश खंगाली गई। परिजनों और पड़ोसियों से इनपुट मिला कि मृतक लियाकत का उसके पड़ोसी छोटे उर्फ इरशाद पुत्र बाबू खां करीब 5 साल पहले विवाद हुआ था। लेकिन वह लंबे समय से दिल्ली में रह रहा है। परिजनों और पड़ोसियों के मुताबिक वह काफी दिनों से गांव भी नहीं आया।


लियाकत के शव का उसी दिन शाम में पोस्टमॉर्टम कराया गया। इसके बाद इसे परिजनों को सौंप दिया गया। गांव के पास कब्रिस्तान में उसके शव का दफनाया गया। इसके अगले दिन पुलिस को उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिली। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हत्या की टाइमिंग रात के करीब 1 बजे से 2 बजे की बीच मिली। रिपोर्ट में लियाकत को सोते समय मारा गया, उसके सिर-सीने और गले में धारदार चीज से हमला किया गया, अधिक ब्लीडिंग के चलते मौत की पुष्टि हुई।

इस जवाब के बाद पहले तो पुलिस ने पड़ोसी को नजरअंदाज किया। लेकिन जब एक सप्ताह बीत गया और पुलिस के हाथ किसी तरह का क्लू नहीं लगा। तब पुलिस ने पड़ोसी के ऊपर तफ्तीश शुरू की।


1560 मिनट बाद तक बंद रखा मोबाइल फोन

मामले में सर्विलांस टीम एक्टिव हुई। पड़ोसी छोटे उर्फ इरशाद से संपर्क करने के लिए उसका नंबर लिया गया। वारदात वाले दिन छोटे उर्फ इरशाद कहां था? इसके लिए मोबाइल लोकेशन भी ट्रेस की गई, लेकिन उस दिन उसका फोन स्विच ऑफ मिला।

इसके बाद पुलिस ने उसकी पूरी कॉल डिटेल खंगाली। यहां से पुलिस को अहम क्लू मिला। पिछले 6 महीने में इतने लंबे समय तक कभी भी छोटे उर्फ इरशाद का मोबाइल फोन ऑफ नहीं हुआ था। पुलिस के लिए यह स्ट्रॉन्ग प्वाइंट था। डिटेल में स्पष्ट हुआ कि 23 जनवरी को 11 बजे इरशाद ने फोन स्विच ऑफ किया और फिर 26 घंटे यानी कि 1560 मिनट बाद फोन ऑन किया।


दिल्ली पहुंची टीम तो फरार मिला

इस क्लू के बाद पुलिस इरशाद के दिल्ली के अशोक नगर थाने के न्यू कोंडली स्थित घर पर पहुंची। लेकिन वह घर से फरार मिला। इसके बाद पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए मोबाइल फोन को ट्रेस करना शुरू कर दिया। बुधवार को पुलिस को उसकी लोकेशन बनी-हरदू मोड़ लखनऊ मिली। यहां आगरा एक्सप्रेस-वे बाईपास से इरशाद को गिरफ्तार कर लिया गया।

अब जानते हैं क्या बोला इरशाद

कोर्ट की तारीख से तंग आ गया था

बकौल पुलिस पहले तो छोटे उर्फ इरशाद हत्याकांड के बारे में कुछ भी बोलने से बचता रहा। खुद को निर्दोष बताता रहा। लेकिन फिर पुलिस की सख्ती के आगे वह टूट गया। इरशाद ने बताया, ''लियाकत से मेरी कुछ सालों पहले मारपीट हुई थी। यह मारपीट भूमि विवाद के लिए हुई। इसके बाद वो कोर्ट पहुंच गया और उसने मामले में स्टे ले लिया। इसी केस की सुनवाई से मैं परेशान हो गया था। इसलिए मैंने लियाकत को मारने की साजिश की।''


50 मीटर की दूरी पर है लियाकत का घर

इरशाद ने बताया, ''मेरा गांव में घर है, वह लियाकत के घर से महज 50 मीटर की दूरी पर है। गांव के पास ही फिरोज नाम के एक शख्स की जमीन थी। इस जमीन पर मैंने अपना दावा पेश किया था। इसके बाद फिरोज ने मुझे पैसे दिए और जमीन को खाली करने की बात कही। इसके लिए मैंने कोर्ट से स्टे ले लिया। इसके बाद 2019 में जब कोरोना आया, तब फिरोज के पक्ष में आकर लियाकत ने मुझसे लड़ाई की। इस मामले पर हम दोनों पक्षों पर शांतिभंग की कार्रवाई की गई। इन्हीं मामलों ने मुझे कोर्ट में आने को मजबूर कर दिया।''

रातों-रात आया और उसे मार डाला

इरशाद ने बताया, ''23 जनवरी को मैं दिल्ली से इटावा आया। मैंने दिल्ली में ही अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया था, ताकि लोकेशन ट्रेस न हो। इसके बाद मैं अपने गांव मुगलपुरा पहुंचा। मुझे मालूम था कि वो घर बनवा रहा है और उसके लिए वहीं पास में झोपड़ी में रात बिताता है। इसके बाद मैं वहां पहुंचा। मैं अपने साथ कुल्हाड़ी ले गया था। लियाकत वहीं सो रहा था, मैंने आव देखा ना ताव और उसे कुल्हाड़ी से काट डाला। इसके बाद रातों-रात मैं वहां से दिल्ली के लिए भाग निकला। मुझे किसी ने भी आते-जाते नहीं देखा था।''


तीन दिन तक पढ़ता रहा लियाकत की खबरें

इरशाद ने बताया कि वह तीन दिन तक लियाकत की हत्या की खबरें ढूंढ-ढूंढकर पढ़ता रहा। अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ तो उसने सोचा कि अब वह बच निकलेगा। इसके बाद ही उसने फोन ऑन किया था। लेकिन अब वह फंस गया।

मामले का खुलासा करते हुए SSP संजय कुमार वर्मा ने कहा, ''आरोपी की निशानदेही पर हत्या में प्रयोग की गई कुल्हाड़ी को बरामद कर लिया गया है। इस कुल्हाड़ी में लियाकत के ब्लड के निशान भी मिले हैं। आरोपी का मेडिकल करा उसे कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। यहां से उसे जेल भेजा गया है।''


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