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इटावा/सैफई :अनौखा विदाई समारोह : पीड़ित फरियादी की एक माला के लिए तरस गए सीओ नागेन्द्र चौबे

संवाददाता:एम.एस वर्मा

                 मनोज कुमार 



नागेन्द्र चौबे ऐसे सीओ जिन्होंने खुद किया अपना विदाई समारोह का आयोजन

डेढ़ साल की तैनाती के दौरान एक पीड़ित की इतनी भी मदद नही कर पाए कि विदाई समारोह में कोई रोकर गले लगता

इटावा । कहते हैं कि तुम्हारे कर्म ही तुमसे मिलने आएंगे यह बात सैफई के सीओ नागेन्द्र चौबे पर पूरी तरह से फिट बैठती है नागेन्द्र चौबे उत्तर प्रदेश के एकमात्र इकलौते सीओ हैं जिन्हें अपनी स्वयं विदाई समारोह करने का गौरव हासिल हुआ है। सीओ को अपनी विदाई करने के लिए खुद सारे इंतजाम करने पड़े। रवानगी के एक हफ्ते बाद सीओ को अपना विदाई समारोह आयोजित करना पड़ा। लेकिन एक भी ऐसा फरियादी सीओ को माला डालने नहीं पहुंचा जिसे सीओ ने न्याय दिलाया हो। 


मामला उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के सैफई का है। सैफई में नागेंद्र चौबे की तैनाती थी जिनका हाल ही में स्थानांतरण चकरनगर क्षेत्र के लिए कर दिया गया है। सीओ तैनाती के दौरान से ही लगातार चर्चा में रहे हैं घटनाओं को नकारना, दलित उत्पीड़न के मुकदमे में पीड़ितों को धमकाना, तमाम ऐसी शिकायतें होती रही है शासन को व उच्चाधिकारियों से सीओ के विरुद्ध स्थानीय लोगों द्वारा 100 से अधिक शिकायतें भेजी गयी। 

बीते एक हफ्ते से इटावा जनपद के सोशल मीडिया ग्रुप में खबरें लगातार वायरल हो रही थी के सीओ सैफई नागेन्द्र चौबे का विदाई समारोह नहीं किया गया और सीओ नागेन्द्र चौबे एक माला को तरसते रहे यह बात सीओ सैफई नागेन्द्र चौबे को नागवार गुजरी और उन्होंने रवानगी के एक हफ्ते बाद सैफई आकर अपना विदाई समारोह आयोजित कराया।

सीओ ने सैफई आते ही सबसे पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों को फोन घुमाने शुरू कर दिए और दुहाई दी कि चकरनगर में आपके रिश्तेदारों का भी काम पड़ सकता है हम आपके बड़े काम आएंगे यहां तो हम आपका कोई काम कर नहीं सके लेकिन चकरनगर में जरूर करेंगे। कम से कम एक माला तो डाल जाइए। तहसील में अपने कार्य से पहुंचे ग्राम प्रधानों, पूर्व प्रधानों को भी सीओ ने अपना ड्राइवर भेज कर बुला लिया और मालाओं का दौर शुरू हुआ सीओ का मालाओं से गला तो भर गया लेकिन उन मालाओं का बोझ सहने की सीओ में सामर्थ नहीं थी। क्यों कि पिछले लगभग लगभग डेढ़ वर्ष के कार्यकाल के दौरान एक भी फरियादी माला डालने नही आया जिसको सीओ सैफई नागेन्द्र चौबे ने अपनी कलम से न्याय दिया हो। यही वजह रही कि एक भी मुकदमे का फरियादी एक भी दलित सीओ सैफई नागेन्द्र चौबे को माला डालने नहीं पहुंचा। 


➡️पिछली विदाई समारोह में लोगों ने सीओ को रो रो कर विदा किया था

सीओ नागेन्द्र चौबे की तैनाती से पूर्व रहे सीओ रमेश चंद्र, सीओ मोहन लाल, सीओ मस्सा सिंह, सीओ अरुण दीक्षित, सीओ निर्मल सिंह विष्ट को रो रो कर स्थानीय लोगों ने विदाई दी थी। सीओ चंद्रपाल की विदाई के दौरान दो व्यक्ति इतने भाबुक हो गए थे कि चंद्रपाल की गाड़ी के आगे लेट गए थे। 

➡️एक दलाल पत्रकार को दी गई फोटो व खबर वायरल करने की जिम्मेदारी

सोशल मीडिया पर विदाई ना होना एक माला को को तरसना इस तरह की खबरें वायरल होने के बाद सीओ द्वारा विदाई समारोह आयोजित किया गया इस विदाई समारोह की खबर फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करने की जिम्मेदारी इटावा के एक दलाल पत्रकार को दी गई और उसे एक खर्चे के लिए एक लिफाफा भी दिया गया और उस पत्रकार ने पूरी कहानी लिखकर खबर को बनाकर वायरल किया यही नहीं उस पत्रकार ने दूसरे जिले के पत्रकारों को फोन कर करके खबर को अपने जिले के व्हाट्सअप ग्रुप में वायरल करने के लिए कहा गया लेकिन उसे सफलता नहीं मिला। यहां तक कि नोएडा और गाजियाबाद के व्हाट्सअप ग्रुप में सीओ को विदाई न होने की खबर छाई रही। इस दलाल पत्रकार की इटावा में छवि बहुत ही खराब है यही बजह रही कि इटावा के किसी भी पत्रकार ने इसे अपने न्यूज़ ग्रुप में नही जोड़ा है यह दलाल पत्रकार इकदिल के एक ग्रुप में जुड़ा है और उसी ग्रुप में दलाल पत्रकार द्वारा खबर डाली गई लेकिन सीओ की कार्यशैली के चलते ख़बर को आगे नही बढ़ाया गया। 

➡️विदाई समारोह में नही पहुंचे सर्किल के एसओ व चौकी इंचार्ज

सूत्र बताते है कि इस विदाई समारोह में सिर्फ एसओ सैफई पहुंचे थे इसके अलाबा सर्किल के थाना बसरेहर, चौबिया, वैदपुरा का कोई भी एसओ व चौकी इंचार्ज विदाई समारोह में नही पहुँचा।



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