सम्बाददाता:डॉ सुनील चोपड़ा
भगवान राम नाम में बडी शक्ति छिपी हुई है जो अमंगल को भी मंगलकारी बना देता है, इसलिए राम नाम के धन को जोड़ते रहना चाहिए, ताकि हमारा जीवन सफल हो सके।
यह विचार आचार्य जितेंद्र कृष्ण महाराज ने राधा-कृष्ण भक्त मंडल विक्रमगढ व्दारा आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के दूसरे दिन शुक्रवार को फ्री कथा वाचन के दौरान व्यक्त किये। उन्होंने आगे कहा कि एक क्षण का सत्संग भी हमारे जीवन में बदलाव ला देता है, परन्तु इसके लिए ध्यान और परमात्मा का चिन्तन नितांत आवश्यक है। उन्होंने वाल्मिकी के प्रसंग के माध्यम से बताया कि कर्म का फल स्वयं व्यक्ति को ही भोगना पडता है, कुछ लोग झूठ और छल, कपट से धन तो अर्जित कर लेते है लेकिन वह धन टिकता नही है और अशांति का कारण भी बन जाता है, इसलिए ऐसे प्रयास करना चाहिए कि हम किसी का अहित न करे।
आचार्य ने बताया कि मनुष्य के जीवन में गुरु का होना बहुत आवश्यक है और गुरु ही भवसागर से तार सकता है, वेदव्यासजी ने चार वेद, सत्रह पुराण की रचना की फिर भी उन्हे शांति नही मिली तब उन्होंने नारदजी को अपना गुरु बनाया था। इसलिए गुरु बनाओ तो उनके बताए उपदेश को अपनाना भी चाहिए।
आचार्य जितेंद्र कृष्णजी ने कथा को आगे बढाते हुए कहा कि भगवान भोलेनाथ ने पार्वती को अमर कथा श्रवण कराई तो कथा को शुक (तोता) ने भी सुन ली जिस पर शिवजी क्रोधित होकर मारने दौड़े तो वे उड़ते हुए वेदव्यास की पत्नी के मुंह से पेट में प्रवेश कर गये जो 12 वर्ष बाद बाहर आए और शुकदेवजी कहलाए और उन्होंने ही राजा परीक्षित को भागवत कथा श्रवण कराई।
आचार्य व्दारा कथा के बीच-बीच में श्रवण कराये गये भजनों के दौरान महिलाओं ने भावविभोर होकर खुब नृत्य किया, खासकर इन भजनों पर-
मिट्टी का खिलौना, मिट्टी में मिल जाएगा....
नौकर रख लें साँवरे हमको भी एक बार.....