संवाददाता:मनोज कुमार(7409103606)
चीन को नेस्तनाबूत कर देगी अहीर रेजिमेंट, तवाग झड़प के वाद फिर उठ रही मांग जानें इतिहास
एकवार फिर अहीर रेजिमेंट की मांग उठने लगी है. इसी के समर्थन में सेकड़ों युवाओं के साथ विश्व यादव परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अवधेश यादव,व सुभाष यादवराष्ट्रीय प्रभारी संगठन विश्व यादव परिषद ने 11 फ़रवरी से राजघाट से साइकिल यात्रा निकाली है. जो आज जसवंतनगर में जोशीलों नारों के साथ प्रवेश कर घूमी है जो . नगर के बस स्टेण्ड पुल के पास से घूमते हुये जसवंतनगर सैफई मार्ग होते हुये नेता ज़ी की समाधि स्थल सैफई पऱ आज समापन करेंगे.
क्या हुआ था.
8 नबंवर 1962 को चीनी सैनिकों ने रिझाग चौकी पऱ अचानक हमला बोल दिया था. चौकी पऱ उस बख्त करीब 120 सैनिक थे. जवकि दूसरी ओर चीन के 3000 सैनिकों ने हथियारों से लेस होकर पूरी तैयारी के साथ हमला बोला था. मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में भारतीय जवानों ने पूरी ताकत से चीनी हमले का जवाव दिया और आखिरी सांस तक चीन का सामना किया. इस जंग में हालाँकि 114 भारतीय जवान शहीद हुये. लेकिन इससे पहले 1200 चीनी सैनिक ढेर किये जा चुके थे.9 भारतीय जवानों को चीन ने वंदी भी बनाया, लेकिन ये भी चीन के कब्जे से निकलने में कामयाब रहे.
अंग्रेजों ने शुरू की थी परम्परा
भारतीय सेना में रेजिमेंट बेहद खाश है. कई रेजिमेंटो को मिला कर सेना बनती है. इसकी शुरुआत अंग्रेजों ने अपनी हुकुमत के दौरान शुरू किया था. अंग्रेज हालाँकि समुद्र तक सीमित थे. इसलिए उन्होंने सबसे पहले मद्रास रेजिमेंट की शुरुआत की. फिर विस्तार के साथ साथ अन्य रेजिमेंटो का उदय होता गया.
अहीर रेजिमेंट :
कुछ दिन पहले अरुणाचल प्रदेश के तबांग सेक्टर पऱ भारतीय जबानों ने चीनी सैनिको को मार मार कर भगाया.300 से ज्यादा पी एल ए सैनिक भारतीय पोस्ट पऱ कब्जा करने के इरादे से घुसे थे. लेकिन सेना ने चीन की पूरी तैयारियों पऱ पानी फेर दिया, सरहद से लेकर संसद तक एलए सी पऱ सुरक्षा का मुद्दा फिर गर्म हो गया. इस बीच में एकवार फिर अहीर रेजिमेंट की मांग उठने लगी. अभी कुछ दिन पूर्ब बीजेपी सांसद निरहुआ ने इसकी मांग उठाई है. इससे पहले सपाध्यक्ष अखलेश यादव, रोहतक से कांग्रेसी सांसद दीपेंद्र हुड़्डा भी यह मांग कर चुके है
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क्या है अहीर रेजिमेंट का इतिहास ज़ब 1962 की जंग में 120 जवानों ने 3000 चीनी सैनिकों को भगा दिया था वलवान घाटी पऱभारतीय और चीनी सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष के एक दो साल वाद तवाग सेक्टर पऱ एकवार फिर चीन ने नापाक हरकत फिर दोहराई. पूरी तैयारियों के साथ चीनी सैनिक एकवार फिर सीमा पऱ घुसे थे.हाथ में कटीले डंडे और हथियारों के साथ चीन पूरी कोशिश के लिये आया था कि भारतीय पोस्ट पऱ कब्जा कर लें. हालाँकि भारतीय जबानों ने एकवार फिर चीन के इरादों पऱ पानी फेर दिया
जाति के नाम रेजिमेंट, लेकिन जरूरी नहीं कि उसी जाति की भर्ती हो.:
यह तो वात हो गईं ब्रिटिश काल की बात,. आजादी के वाद भी यह सिस्टम बना रहा लेकिन उसके बाद से अभी तक जाति के आधार पऱ कोई नई रेजिमेंट नहीं बनी है वहीं यह भी जरूरी नहीं कि जाति के नाम पऱ रेजिमेंट बनी है तो सिर्फ उसी जाति के लोगों का सलेक्शन हो
राजपूत रेजिमेंट में गुर्जरों की भर्ती भी हो सकती है मुसलमानो की भी वही कई फ़ोर्स ऐसी है जहां कोई जाति व्यबस्था नहीं है.
रेजांग ला की लड़ाई से ऐसा है अहीर रेजिमेंट का ताल्लुक :
रेजांग ला की लड़ाई में 117 अहीर सैनिकों की शौर्य की चर्चा आज भी होती है यह सभी जवान कुमाऊं रेजी मेन्ट की 13 वीं बटा लियन के हिस्सा थे. इन जबानों की बीरता के सामने चीन के सैनिकों को झुकना पड़ा था. इसके बाद भारतीय सेना ने रेजांग ला चौकी बना ली थी इस लड़ाई में 120 भारतीय सैनिकों ने चीन के 400 सैनिकों को मार गिराया था.वहीं 117 जवान शहीद हो गये थे जिसमें 114 अहीर थे.