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इटावा/जसवंतनगर: DNA मैच न होने पर पुलिस ने घर वालों को नहीं दी बेटी की लाश, साढ़े तीन साल मोर्चरी में पड़ा रहा कंकाल।

सम्बाददाता: एम.एस वर्मा, मनोज कुमार (6397329270)



इटावा के कस्बा जसवंतनगर के गांव चक सलेमपुर  से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां साढ़े तीन साल बाद एक युवती का कंकाल पुलिस ने उसके घरवालों के हवाले किया। इसके बाद अधिकारियों ने आनन-फानन में घरवालों से कंकाल को खेत में दफन करवाकर उसका अंतिम संस्कार भी करा दिया।

जांच के नाम पर पुलिस साढ़े तीन साल तक कंकाल को पोस्टमॉर्टम हाउस के फ्रीजर में रखे रही। वह युवती का डीएनए न मिलने की बात कहकर परिजनों को उसका कंकाल देने से बच रही थी। लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद बुधवार को शव परिजनों को सौंपा गया।

दरअसल, साढ़े तीन साल पहले युवती घर से बिना बताए निकल गई थी। करीब सात दिन बाद खेत में उसका जला हुआ कंकाल मिला था। घरवालों ने कुछ लोगों पर बेटी की हत्या करने का आरोप लगाया था। लेकिन जांच के नाम पर पुलिस कार्रवाई करने से बचती रही। इसी बीच घरवाले कोर्ट गए। 29 महीने बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर जसवंतनगर थाना पुलिस ने आरोपियों पर मुकदमा दर्ज किया। लेकिन, अब तक यानी साढ़े तीन साल बीत जाने के बाद भी किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई। घरवाले अभी भी न्याय की आस में हैं।


• आइए अब जानते हैं क्या है पूरा मामला

गायब होने के सात दिन बाद खेत में मिला था कंकाल

इटावा जिले के जसवंतनगर इलाके के चक सलेमपुर गांव की रहने वाली रीता (22) 19 सितंबर, 2020 को लापता हो गई थी। उसका इसके 7 दिन बाद रोका (रिश्ता फाइनल) होने वाला था। मगर, सात दिन बाद युवती के घर से 300 मीटर दूर बाजरे के खेत में एक शव के हाथ-पैर और पसलियां लोगों को मिलीं। मगर, सिर का हिस्सा गायब था। देखकर लग रहा था कि जैसे बॉडी पर कोई केमिकल डालकर जलाया गया हो।

वहीं कंकाल मिलने की जानकारी पर गांव के लोगों के साथ रीता के परिवार वाले भी मौके पर पहुंचे। जिन्होंने अस्थि पंजर के पास से बरामद हुई चप्पल, दुपट्टा, हेयर क्लिप समेत अन्य सामानों के जरिए कंकाल को अपनी बेटी रीता का बताया। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस मौके पर पहुंची। जांच-पड़ताल के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।



युवती का आज तक मोबाइल नहीं ढूंढ पाई पुलिस

शव से कलावा, छीट का सलवार-कुर्ता, चांदी की अंगूठियां, लाल कंगन, पीला क्लेचर बरामद हुआ था। लेकिन रीता का मोबाइल फोन बरामद नहीं हुआ, जो आज तक पुलिस बरामद नहीं कर पाई है। इटावा पोस्टमॉर्टम हाउस पर आए अस्थि पंजर का बेशक पोस्टमॉर्टम कर दिया गया हो, लेकिन पुलिस ने शव को परिवार के सुपुर्द नहीं किया।

युवती का आज तक मोबाइल नहीं ढूंढ पाई पुलिस

शव से कलावा, छीट का सलवार-कुर्ता, चांदी की अंगूठियां, लाल कंगन, पीला क्लेचर बरामद हुआ था। लेकिन रीता का मोबाइल फोन बरामद नहीं हुआ, जो आज तक पुलिस बरामद नहीं कर पाई है। इटावा पोस्टमॉर्टम हाउस पर आए अस्थि पंजर का बेशक पोस्टमॉर्टम कर दिया गया हो, लेकिन पुलिस ने शव को परिवार के सुपुर्द नहीं किया।

पुलिस की ओर से कहा गया था कि शव की पहचान सही ढंग से नहीं हो सकी है। इसलिए DNA टेस्ट कराया जाएगा। इसी बीच पारिवारिक सदस्यों ने कई लोगों पर हत्या का शक जाहिर करते हुए प्रार्थना पत्र दिया। मगर, शव की पहचान न होने की बात कहते हुए पुलिस ने 29 महीने तक कोई कार्रवाई नहीं की।

गांव के युवक से होती थी रीता की बातचीत

रीता की मां भगवान देवी ने गांव के रामकुमार, रामकुमार के बेटे मोहित, रामकुमार की पत्नी मिथिलेश और एक अन्य शख्स सत्येंद्र कुमार पर बेटी की हत्या करने का आरोप लगाया था। पुलिस को रीता के मोबाइल की कॉल रिकॉर्ड में मिला कि उसकी रामकुमार से रोजाना कई बार बात होती थी। जिसकी जानकारी रामकुमार की पत्नी मिथिलेश को हो गई थी। रीता की हत्या रामकुमार की पत्नी मिथलेश ने करवाकर शव को नष्ट करवा दिया। फिर तेजाब डालकर उसके शव को जलाया गया। इन सब बातों की तस्दीक खुद घरवालों ने अपने आरोप में भी की है।

बेटी का शव लेने के लिए मां ने ली कोर्ट की शरण

अब पुलिस के सामने इस बात की मुश्किल थी कि जब शव की पहचान नहीं हो पा रही है, तो फिर आखिरकार कथित हत्यारोपियों के खिलाफ कार्रवाई कैसे की जाए। धीरे-धीरे करके दिन बीतते चले गए। पुलिस ने DNA जांच के लिए सैंपल लिए।

वहीं रीता के घरवाले भी बेटी का शव पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ते रहे। पीड़िता भगवान देवी ने बेटी के हत्यारोपियों और बेटी के कंकाल की मांग के लिए अदालत की शरण ली, मुकदमा चला। वारदात के करीब 29 महीने बाद हाईकोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए।

दो बार DNA सैंपल हुआ फेल, तीसरी बार जांच को भेजा

इसी बीच, 26 मार्च 2022 को रीता और उसके मां-बाप की DNA रिपोर्ट भी आ गई, जिसमें स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी। इस पर 18 अगस्त, 2022 को नमूना लेकर फिर जांच के लिए भेजा गया। इसकी रिपोर्ट के इंतजार में ही लगभग 11 महीने बीत गए।

10 जुलाई 2023 को आई रिपोर्ट भी परिजनों से नहीं मिल सकी। तीन साल से बेटी के अंतिम संस्कार की आस लिए बैठे परिजनों को झटका लगा। DNA रिपोर्ट में दंपती के बेटी नहीं होने की पुष्टि हुई। उसके बाद अक्टूबर, 2023 में फिर से DNA रिपोर्ट जांच के लिए गई, लेकिन उसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं मिल सकी।

ऐसा माना जा रहा है कि कहीं न कहीं पुलिस को DNA रिपोर्ट की जानकारी है, जिसमें कंकाल का DNA उसके मां-बाप से मैच हो गया है। इसी कारण पुलिस ने अपनी गलती को छिपाने के लिए कंकाल को परिजनों को सौंप दिया। इसके बाद आनन-फानन में दफन करवा दिया।

मां बोली- जैसे मेरी बेटी को मौत दी गई, वैसे ही आरोपियों काे भी मिले

रीता की मां भगवान देवी का कहना है, ''मेरी बेटी किसी हालत में घर से गई थी और आज के हालात में हम लोगों को मिली है। हमारी सरकार और प्रशासन से मांग है कि दोषियों को इसी तरीके से सजा दी जाए। जैसे उसकी तड़प-तड़प कर मौत हुई है, वैसे ही उसको मारने वालों को मौत दी जाए। लंबी लड़ाई के बाद आज कंकाल मिला है। उम्मीद है कि अब दोषियों को भी फांसी की सजा जरूर होगी।’’

भाई बोला- पुलिस हमें अपनी गाड़ी में बैठाकर ले गई पोस्टमॉर्टम हाउस

मृतक रीता के भाई राजीव कुमार ने कहा, ''कई दिनों से पुलिस हम लोगों को बुलाकर कंकाल देने की बात कह रही थी। लेकिन किसी न किसी वजह से मामला टाल दिया जा रहा था। आज सुबह फोन आया। जिस पर हम और परिवार के लोग तहसील पहुंचे। जहां से हम लोगों को गाड़ी में बैठाकर पोस्टमॉर्टम हाउस ले जाया गया। वहां से हमारी बहन के कंकाल को हम लोगों को सौंप दिया गया। हम लोग गांव के अपने खेत पर अपनी बहन का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। पुलिस ने किसी को भी फोन करके सूचना देने की बात से मना किया था।

पुलिस ने जल्दबाजी में बहन का अंतिम संस्कार कराया

''इसी वजह से हम अपने परिवार के अन्य लोगों और गांव के लोगों को भी नहीं बुला सके। हमारी एक बहन और है, उसको भी इस बात की जानकारी नहीं है। आखिर पता नहीं पुलिस प्रशासन ने इतनी जल्दबाजी में हमारी बहन के कंकाल को दफना दिया।

हम सरकार से और पुलिस प्रशासन से यह मांग करते हैं कि अब यह साबित हो गया कि यह कंकाल हमारी बहन का है, तो अब नामजद आरोपियों के खिलाफ भी जल्द से जल्द कड़ी कार्रवाई की जाए। जिससे मेरी बहन को इंसाफ मिल सके और आरोपियों को सजा मिल सके।''

समाधि स्थल पर मौजूद गांव के युवक सोनू ने बताया, ''हम लोगों को जानकारी नहीं थी कि, यहां पर क्या हो रहा है। पुलिस प्रशासन को देखकर हम लोग जब पहुंचे तो पर चला कि रीता का कंकाल दफनाया जा रहा है। पुलिस प्रशासन यहां मौजूद था, लेकिन मीडिया आने के बाद पुलिस प्रशासन यहां से चला गया।''

पीड़ित पक्ष के वकील बोले- अब लगता है परिजनों को न्याय मिलेगा

इस मुकदमे के पैरोकार अधिवक्ता अश्वनी सिंह ने बताया है कि इस मामले में परिवार ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है। जिसके बाद आज यानी बुधवार को उनको उनकी बेटी का कंकाल दे दिया गया। हालांकि तीसरी बार हुई डीएनए की रिपोर्ट में क्या तथ्य सामने आए हैं, इसकी जानकारी फिलहाल नहीं है। लेकिन पुलिस प्रशासन ने कंकाल परिजनों को सौंप दिया है तो इससे लगता है कि अब युवती को न्याय मिल सकेगा। आरोपी जल्द सलाखों के पीछे होंगे।



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