आलोट। बचपन में भगवान का भजन अमृत के समान एवं जवानी में दुध-दही व वृध्द अवस्था में पानी के समान बताया गया है, इसलिए इधर-उधर समय व्यर्थ बर्बाद करने के बजाय शुरु से ही परमात्मा की भक्ति करना चाहिए ताकि कल्याण हो जावे।
यह बात रसिकानंदजी महाराज वृंदावन ने श्री कुबरेश्वर धाम महादेव मंदिर परिसर में समिति की ओर से आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के तीसरे दिन मंगलवार को कथा वाचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि सत्य अमर है जो वर्तमान, भूत और भविष्य में भी रहेगा, इसलिए मनुष्य को इसे आत्मसात करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपनी सौ पीढी की कमाई दौलत भी मोक्ष नही दिला सकती है, मोक्ष तो भागवत ही प्रदान कर सकती है इसकी आरती तक में गजब का सारांश छिपा है।
उन्होंने बताया कि माता, महात्मा और परमात्मा का सदैव सम्मान करना चाहिए क्योंकि ये तीनों हमारे मार्गदर्शक और भवसागर के तारक भी है।
उन्होंने कथा में शिव-पार्वती विवाह प्रसंग वाचन के साथ इसका सजीव चित्रण भी किया गया, इस दौरान समूचे पांडाल में खुशीयां मनाई गई। बुधवार को श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग के साथ ही जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा।
कथा वाचक का जन्मदिन एवं फूलों से होली खेलकर फाग उत्सव भी मनाया गया। कथा में कैलाश शर्मा खासपुरा, संतश्री बालकृष्णजी महाराज खेडी आश्रम, खेड़ापति हनुमान मंदिर के संत सहित अन्यों का मंच से सम्मान किया गया। प्रसाद वितरण का लाभ राधेश्याम मिस्त्री परिवार ने लिया।