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सैफई:सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रतिदिन दर्जन भर मरीज व तीमारदारों के हो रहे है मोबाइल चोरी, नहीं लिखी जाती रिपोर्ट।

 संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ,सोशल मीडिया प्रभारी


सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रतिदिन दर्जन भर मरीज व तीमारदारों के हो रहे है मोबाइल चोरी, नहीं लिखी जाती रिपोर्ट

चोरी के आंकड़े छिपाने के लिए गुमशुदगी की एप्लिकेशन लिखवाकर थाने की मुहर लगाकर किया जा रहा पुलिस के उच्चाधिकारियों को गुमराह 

कई राज्यों व जिलों से इलाज कराने सैफई आते है मरीज, यहां हो जाता है मोबाइल चोरी 

मोबाइल चोरी रोकने व मरीज व तीमारदारों को जागरूक करने के लिये नही उठाये गए कोई कदम 

इटावा । समाजवादी पार्टी की सरकार में मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट रहे उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में प्रतिदिन मरीज व तीमारदारों के दर्जन भर मोबाइल चोरी होते हैं लेकिन इन घटनाओं में पुलिस चोरी की रिपोर्ट दर्ज न करके मोबाइल खोने की तहरीर लेकर उस पर थाने की मुहर लगाकर रिसीव करके शासन स्तर पर पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों को गुमराह करती है ताकि चोरी की घटनाओं से होने वाली बदनामी पर पर्दा डाला जा सके। 


सैफई के उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में आसपास के जनपदों व दूसरे राज्यों के मरीज इलाज करने के लिए आते हैं और इलाज व दवा जांचों के लिए मोबाइल से पेमेंट की सुविधा का इंतजाम करके आते है। क्यों कि आजकल ऑनलाइन पेमेंट का जमाना है तो हर व्यक्ति मोबाइल में फोनपे पेटीएम से पेमेंट करता है और अपने मरीज को चिकित्सीय लाभ के लिए यहां आकर भर्ती करता है भर्ती करने के दौरान उसे पता नहीं होता है कि यहां मोबाइल चोरों की पूरी गैंग सक्रिय है और आए दिन मोबाइल चोरी होते हैं शाम को व्यक्ति थक- हार कर वार्ड के बाहर सो जाता है जब वह सुबह उठता है तो उसका मोबाइल गायब मिलता है। हर वार्ड में मोबाइल चोरी होती है। पुलिस वार्ड में व बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे देखना भी ज़रूरी नहीं समझती। सैफई के मिनी पीजीआई के नाम से विख्यात इस अस्पताल में चिकित्सा सुविधाएं तो अच्छी हैं और इन्हीं का लाभ लेने के लिए मरीज आता है लेकिन मरीज अपने कीमती मोबाइल से हाथ धो बैठता है दूसरे जिले से आने वाले मरीज का यहां सैफई थाना पुलिस मोबाइल चोरी मुकदमा भी दर्ज नहीं करती और एक कागज पर मोबाइल खोने की एप्लीकेशन लिखवा ली जाती है और बाद में उसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है।कुछ को सर्विलांश सेल भेज दिया जाता है। 

अगर बात की जाए तो प्रतिदिन लगभग एक दर्जन मोबाइल चोरी होते हैं लेकिन सिर्फ मोबाइल खोने की एप्लीकेशन लिखवा कर चोरी की घटना पर पर्दा डाल दिया जाता है

👉 लंबे अरसे से अस्पताल में मोबाइल चोर गैंग सक्रिय

सैफई के उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में मोबाइल चोरी करने की गेंग एक लंबे अरसे से सक्रिय है इस गैंग के सदस्य गिहार समाज के बताए जाते हैं जो कि मैनपुरी भोगांव इटावा जसवंतनगर क्षेत्र के बताए गए हैं पूर्व में कई बार पकड़े भी जा चुके हैं लेकिन थाना पुलिस अब इन चोरों के प्रति पूरी तरह निश्चिंत हो गई है और पुलिस ने कोई चोर पकड़ने का प्रयास नहीं किया और चोरी करने की छूट दे रखी है। 

👉 5 से 6 हजार में बिकता है 20 हजार का चोरी का मोबाइल फ़ोन 

चोरी का मोबाइल फोन जिसकी बाजार कीमत 15 से 20 हजार रुपये होती है वह मात्र 5 से 6 हजार रुपये में बिकता है अगर पुलिस चोरी किए गए मोबाइल की विधिसम्मत कार्रवाई करें तो पुलिस असली चोरों तक पहुंच सकती है। 

👉 कार, बाइक, सामान की भी होती है चोरी, नही लिखी जाती रिपोर्ट 

सैफई में मेडिकल यूनिवर्सिटी के कैंपस में व अस्पताल में मोबाइल चोरी के साथ-साथ कीमती सामान, मोटरसाइकिल, कारों की भी कई बार चोरी हुई है कई सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हुए हैं लेकिन पुलिस द्वारा कोई भी घटना को गंभीरता से नहीं लिया गया यही कारण है कि सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में डॉक्टर व कर्मचारियों के कैंपस में आए दिन चोरी होती रहती है सीसीटीवी कैमरे में चोरी का फुटेज भी पुलिस को दिया गया लेकिन उसके बावजूद भी पुलिस ने जांच नहीं की जिस कारण चोरों का गेंग लगातार सक्रिय है। 

👉🏻 अगर गहराई से जांच की जाए तो मोबाइल चोर गेंग का हो जाएगा पर्दाफाश 

जैसे ही किसी मरीज व उसके तीमारदार का मोबाइल चोरी हो वैसे ही पुलिस तत्काल कार्रवाई करते हुए चोरी का मुकदमा पंजीकृत करें और मोबाइल का लोकेशन ट्रेस कराये मोबाइल को लिसनिंग पर लगवाकर और फिर बिकने के बाद नई सिम प्रयोग होने तक बराबर निगाह रखे तो पुलिस पूरे गैंग को पकड़ सकती है लेकिन पुलिस सिर्फ मोबाइल चोरी की तहरीर को खोने गिरने में बदलवाने में लगी है जब कि आजकल के घटनाओं को देखते हुए कोई भी व्यक्ति अपरिचित से मोबाइल नहीं खरीदना है सिर्फ परिचित व्यक्ति या उसके माध्यम से मोबाइल खरीदे जाते हैं अगर मोबाइल ट्रेस हो जाता है तो उसे प्रयोग करने वाले से पूछताछ की जाए तो एक बड़े गैंग का खुलासा हो सकता है। लेकिन ऐसा होता नही है चोरी के फोन का प्रयोग करने वाले से मोबाइल मंगवा लिया जाता है और फोन मालिक को उसका मोबाइल सुपुर्द कर दिया जाता है। और सर्विलांश सेल व स्थानीय थाना पुलिस अपनी पीठ थपथपाती है।

👉 पीजीआई चौकी इंचार्ज नितिन चौधरी नही उठाते पत्रकारों के फोन 

लगातार हो रही मोबाइल चोरी की घटनाओं व अन्य चोरी की घटनाओं के बारे में चौकी इंचार्ज का पक्ष जानने के लिए स्थानीय पत्रकारों द्वारा चौकी इंचार्ज को मो० 8279929490 पर कई बार कॉल की गई लेकिन चौकी इंचार्ज ने फोन नही उठाया और न ही कॉल बैक की।



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