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मनोज कुमार जसवंतनगर 7409103606
प्राचीनतम विज्ञान है खगोल विज्ञान
आओ करें चांद सितारों की सैर
जसवंतनगर।पुराने समय में जब लोग छतो पर सोया करते थे तो वे आसमान में तारों की स्थिति को देखकर समय का सटीक अनुमान लगा लिया करते थे इसके पीछे खगोल विज्ञान काम करता था। पृथ्वी से परे वस्तुओं तथा घटनाओं का अध्ययन खगोल विज्ञान कहलाता है। हिंदू विद्यालय इंटर कॉलेज के भौतिक विज्ञान प्रवक्ता प्रदीप कुमार यादव ने बताया कि खगोलीय वस्तुओं का सबसे पहले अध्ययन अरस्तु ने किया था।जबकि बाद में गैलीलियो नेअपने दूरबीन के माध्यम से खगोलीय पिंडों को देखने का काम किया था।
भारत के प्रथम खगोल वैज्ञानिक आर्यभट्ट थे। खगोल विज्ञान पर आधारित आर्यभट्ट द्वारा लिखित पुस्तक सूर्य सिद्धांत में विभिन्न खगोलीय घटनाओं का वर्णन मिलता है।
जून के महीने में विभिन्न दुर्लभ खगोलीय घटनाएं हम सभी को आसमान में रोमांचित करने वाली है
3 जून को भोर में सुबह सूर्योदय से 2 घंटे पहले आसमान में ग्रहों का दुर्लभ नजारा नग्न आंखों से देखने को मिलेगा। लाल रंग का मंगल ग्रह तथा विशाल शनि खुली आंखों से देख सकते हैं। अन्य ग्रहों बुद्ध बृहस्पति यूरेनस तथा नेप्चून को देखने के लिए टेलिस्कोप अथवा बिनोक्युलर का प्रयोग करना पड़ेगा।
4 जून को बुध तथा बृहस्पति ग्रह पास पास दिखाई देंगे।
5 जून को चंद्रमा के पास
प्लीएड्स नामक तारों का समूह नक्षत्र के रूप में दिखाई देगा।
10 जून को दिन के समय आसमान में उल्का पिंडों की बौछार देखने को मिलेगी।
16 जून को चंद्रमा के पास कन्या तारा मंडल का सबसे रोशन तारा स्पाइका देखने को मिलेगा।
22 जून को पूर्ण चंद्रमादिखाई देगा।
27 जून को चंद्रमा के सामने शनि ग्रह काले बिंदु के रूप में गुजरता हुआ नजर आएगा।
30 जून को पुच्छल तारा पृथ्वी के नजदीक से होकर गुजरेगा।