Type Here to Get Search Results !
विज्ञापन
    TTN24 न्यूज चैनल मे समस्त राज्यों से डिवीजन हेड - मार्केटिंग हेड एवं ब्यूरो रिपोर्टर- बनने के लिए शीघ्र संपर्क करें - +91 9956072208, +91 9454949349, ttn24officialcmd@gmail.com - समस्त राज्यों से चैनल की फ्रेंचाइजी एवं TTN24 पर स्लॉट लेने लिए शीघ्र सम्पर्क करें..+91 9956897606 - 0522' 3647097

ads

इटावा/जसवंतनगर: नगर पालिका बनी भक्षक पालिका।

 


सत्यनारायण शंखवार उर्फ़ पुद्द्ल चेयरमेन जसवंतनगर 

नगर पालिका बनी भक्षक पालिका.

ज़ब से सत्यनारायण शंखवार उर्फ़ पुद्द्ल ने नगर पालिका परिषद का चेयरमेन का पद संभाला है. तब से सपा को नंबर बन पार्टी बना दिया है. मोहन की मडइयाँ से सपा उम्मीदवार की दम पर खुद जितने बोट पाये थे.उससे आधे बोट डिम्पल यादव को नहीं दिलबा पाये थे. इनकी पोलिंग बूथ से सपा बुरी तरह से हारी थी. लोगों ने सपा को नहीं हराया था. पुद्द्ल के अभिमान को हराया था. और हरा कर इनको इनकी औकात भी जनता ने बता दी है. 

और आज यही हाल इनके खिलाफ पूरे नगर में है इस तरह हो गईं न सपा नंबर एक पार्टी..

सूत्रों से  विदित हुआ है कि इन्होने चुनाव आयोग को दिये गये शपथ में एक महत्बपूर्णअपनी आपराधिक जानकारी छुपाई है. इसकी पूरी जानकारी करने के बाद आयोग से शिकायत की जायेगी.

          EO जसवंतनगर 

जसवंतनगर में आज सबसे बड़ा मुद्दा अगर कोई है तो वह जाम की समस्या का. जसवंतनगर की जनता प्रशासन,अधिशाषी अधिकारी,और चेयरमेन से जानना चाहती है कि अतिक्रमण संबंधी नियम का दायरा क्या है बताये. आज जसवंतनगर जामनगर के नाम से जाना जाने लगा है. ये समस्या प्रशासन ने स्वयं अपने हाथों से क्रिएट की है.

ज़ब ज़ब नगर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया है तब तब लोगों के टीन सेड़ों तक को तोड़ा गया है. पिछली वार मोबाइल बालों एक पूरी की पूरी दुकान का शो को तोड़ डाला गया था. अरे भाई छत पर कौन सा वाहन चलना था. या कौन सा लाभ मिला जो तोड़ी गईं थी.हाँ अगर किसी से खुन्नस ही निकालनी थी तब तो अलग बात है.क्या नगर पालिका नगर में बदले की भावना से काम करेगी.अब छिमारा रोड़ की जाम की बर्तमान ज्वलंत समस्या पर आते है.


क्या नाले पर बनी दुकान अतिक्रमण के दायरे में नहीं आती है. अगर नहीं तो बाजार में नाला क्यों खुलबाया जाता है और हिदायत दी जाती है कि नाले के उधर ही रहो. और अगर अतिक्रमण के दायरे में आती है तो फिर नाले पर खुद नगर पालिका ने अतिक्रमण क्यों कर रखा है. ये किसकी जबाब देही में आता है. ज़ब चुंगी घर किराये पर दिया गया था तब शर्ते रखी गईं थी इसकी मूल संरचना में कोई रड्डो बदल नहीं किया जायेगा. क्या इसका पालन किया गया. और चुंगी को दुकान में तब्दील करने का आदेश किसने दिया पर स्वार्थ में अंधी नगर पालिका को ये कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है. केवल और केवल पैसा ही पैसा हर कर्मी को दिखता है. एक नगर में दो कानून क्यों? इसका जवाब कौन देगा. नाले के ऊपर निर्माण और फिर फुटपाथ पर कब्जा जमाये रखना किस दायरे में आता है.जनता जानना चाहती है कि इस दुकान से नगर पालिका को कितना राजस्व प्राप्त हुआ और किस मद में व्यय हुआ.जहाँ पर ये नाले पर नगर पालिका दुकान बनबाये है वहाँ पर पत्रकार एम एस वर्मा का मकान है जिसका बैनामा 21:12:1976 का है जिसका रकवा नंबर, 31 है. अब नगर पालिका और प्रसाशन से जनता जानना चाहती है कि नगर पालिका की नाले पर जो दुकान बनाये है वह किस रकवा नंबर में बनी है. क्या नगर पालिका के पासइस दुकान के कोई डोकुमेंट्स है और अगर नहीं है तो क्या ये भू माफिया और गुंडई दवंगई की श्रेणी में नहीं आती है.कि किसी की भूमि पर या जगह पर प्रशासनिक ताकत से आपने कब्जा कर रखा है.चूंकि सपा का नगर पालिका बोर्ड हमेशा से रहा है तो परोक्ष रूप से ही सही ऊँगली तो सपा पार्टी पर उठना भी लाजमी है जिस नगरपालिका में सपा के पूछे बगैर पत्ता तक नहीं हिलता है तो फिर इस मामले को क्या समझा जाये.कहावत है कि गड़रिया भेड़ चराना छोड़ दे मगर टिटकारी कभी नहीं भूलता है.नगर पालिका से लोग सुख सुविधाओं की आस लगाते है. क्योंकि जनता टैक्स अदा करती है और पालिकाउस पैसे का दुरूपयोग कर रही है एक सभासदी का नेम बोर्ड का 38500 रुपया का लगवा रही हैजो मार्केट से 3000 में लग सकता है वहाँ हजारों का पेमेंट करती है उसका कमीशन जेब में जाता है. नगर पालिका ने ढाई करोड़ के घाटे का बजट पेश किया है.फिर ये लूट क्यों.इस पर भी मीडिया कर्मी और कुछ वरिष्ठ ईमानदार सभासद काम कर रहे है.
मुख्यमंत्री जी आपका प्रसाशन नाले और फुटपाथ पर बनी दुकान को जायज ठहरा रहा है. ऐसे ही अधिकारी सरकार की मंशा को पलीता लगाकर सरकार को औरo आपकी नीतियों को बदनाम कर रहे है. इसका संज्ञान अवश्य ही लिया जाना चाहिए.और ac में बैठकर भ्र्ष्टाचार करने बालों को उनकी असली जगह पर पहुँचा देना चाहिए.

एक महिला अतिक्रमण हटाने के लिए अपने प्राणों की बाजी दांब पर लगाये है. और अधिकारी आधा अधूरा न्याय करके समस्या का समाधान कर शिकायत कर्ता को गुमराह कर रहे है.धोखे से किया गया समाधान पर संतुष्टि के हस्ताक्षर करा लेना समाधन की श्रेणी में नहीं आता है.

आत्म दाह का मसला अभी टला नहीं है. आंकड़े बाज प्रशासन को सजग किया जा रहा है किसी मुगालते में न रहें.इसकी जिम्मेदारी पालिका और प्रशासन की होंगी.



ads
Youtube Channel Image
TTN24 | समय का सच www.ttn24.com
Subscribe