संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270
मनोज कुमार जसवंतनगर
ईश्वर साक्षात्कारी ब्रह्मलीन आध्यात्मिक संत बाबा खटखटा की गुरु पूर्णिमा के अवसर पर जसवंत नगर जनपद इटावा में उनके आश्रम से निकाली जाने वाली पालकी का सुंदर दृश्य।
सिद्ध संत खटखटा बाबा की कुटिया से जब जयकारों के बीच पालकी उठी तो श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था। भक्त सड़कों पर नंगे पांव पालकी को कंधा देने को उमड़े पड़े।
रविवार को नगर क्षेत्र धर्मगंगा में उस समय डूब गया जब जयकारों के बीच ब्रह्मलीन संत 1008 श्री खटखटा बाबा की पालकी निकाली गई। हर तरफ आरती और पुष्पवर्षा हुई।
वैराग्य धारण करने से पूर्व बाबा खटखटा एक मजिस्ट्रेट थे जिन्हें मिस्टर सप्रू के नाम से जाना जाता था, वे कश्मीरी पंडित थे । उनके दर्शन के लिए कश्मीर नरेश महाराजा प्रताप सिंह भी जसवंत नगर मैं पधारे थे , जसवंतनगर रियासत की ओर से उनका भव्य स्वागत किया गया था । वे स्पेशल ट्रेन से जम्मू से यहां पहुंचे थे ।
अंग्रेजी जमाने में मजिस्ट्रेट की नौकरी को लात मार कर मिस्टर सप्रू हिमालय की कंदराओं में पहुंच गए और कई वर्षों तक तपस्या के पश्चात वे जसवंत नगर में प्रकट हुए, वहां देखा गया कि वे एक तालाब के ऊपर अपने डंडे और खड़ाऊ की खटखट के साथ पानी की सतह पर चलते हुए दूसरे छोर पर पहुंच रहे थे।
जसवंतनगर रियासत के तत्कालीन प्रमुख जो उस समय तालाब किनारे स्थित बड़े शिव मंदिर में शिव उपासना में लीन थे उनकी नजर बाबा के ऊपर पड़ी तो उन्होंने समझ लिया कि वे कोई एरा गेरा नहीं बल्कि पहुंचे हुए महापुरुष हैं। उन्होंने उनकी खूब आव भगत की और विश्राम करने के लिए जगह का प्रबंध किया। बाबा खटखटा वहीं तालाब किनारे रियासत के बाग में कुटिया बनाकर रहने लगे । धीरे-धीरे वह स्थान अत्यंत रमणीक स्थल में बदल गया।
कुछ ही दिनों के अंदर उनके भक्तों की संख्या बढ़ने लगी वे सुबह शाम प्रवचन करते, दुखियों को दिलासा देते। उनके चमत्कारों को देखकर उस दरम्यान अनेकों अंग्रेज अफसर भी उनके भक्त बन गए। वे एक ही समय में दो-दो स्थानों पर देखे जाने लगे। उनके अनेक चमत्कारो की चर्चाएं फैली तो आसपास के प्रदेशों और दूरस्थ जिलों तक से लोग उनके दर्शन के लिए जसवंतनगर आने लगे।
खटखटा बाबा की पवित्र कुटी में उनकी बैठी हुई मुद्रा में मूर्ति लगी हुई है उनके बगल में उनके एकमात्र शिष्य गुरु ब्रह्म प्रसिद्धनाथ की भी मूर्ति लगी हुई है।श्रद्धालु पवित्र कुटिया में पहुंचकर माथा टेककर मूर्ति के समक्ष नतमस्तक होते हैं और बाबा से दुआ मांगते हैं। तालाब किनारे अत्यंत रमणीक एवं हरेभरे वातावरण को देखकर श्रद्धालुओं का मन प्रफुल्लित हो जाता है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने नगर में बाबा की पालकी यात्रा निकाली , घर घर आरती उतारी गई।