जसवंतनगर।थाना क्षेत्र के एक युवक ने खुद को भगवान शंकर बता गले में सर्प डाला, सर्प के डसने से युवक की मौत हो गयी।
रविवार को ग्राम पंचायत आलई के ग्राम नगला पसी के रहने वाले दिवारी लाल पुत्र विजय बहादुर यादव उम्र लगभग 25 वर्ष गांव के पास ही स्थित जिला मैनपुरी के ग्राम नगला सूरत में चल रही श्रीमद् भागवत गीता को शाम को सुनने गया।भागवत सुनने के बाद पास के ही गांव नगला गढ़िया में संपन्न हुई भागवत का भंडारा खाने के लिए चला।रास्ते में कहीं मिले सर्प को पकड़ कर उसने अपने गले में डाल लिया और भंडारा स्थल पहुंचा गले में सर्प डाले दिवाली लाल को लोगों ने देखा और उसे टोककर सर्प छोड़ने को कहा तो उसने कहा मैं स्वयं भगवान शंकर अर्थात विषधर हूँ इसलिए गले में सर्प डाले हूं यह मुझे काटेगा नहीं। गले में डाले सर्प की एक हाथ से पूछ पकडे युवक दिवारी लाल ने लोगों से सर्प की ओर इशारा करते हुए कहा देखो अगर मैं भगवान शंकर ना होता तो क्या यह इतनी आसानी से मेरे शरीर पर रहता। वहां मौजूद लोगों ने उसकी स्थिति बाप जबरदस्ती उसके गले से सर्प हटवाया दिया।उसके बाद उसने प्रसाद भी ग्रहण किया।भंडारे में भीड़ ज्यादा होने के कारण समापन के बाद रात में लोगों ने एक युवक को पंडाल में पड़े देखा।जब उसके पास गए तो वह ग्राम नगला पसी का दिवारीलाल था जो मृत अवस्था में पड़ा मिला। लोगों को तनिक भी समझने में देर ना लगी कि इसकी मौत सर्प दंश से हुई है उसके शरीर पर कई जगह सर्प काटने के निशान भी मिले।लोगों ने उसके घर वालों को इसकी सूचना दी। यह खबर सुन परिवार वालों में कोहरा मच गया। बताया गया है कि युवक साइको था भागवत कथा श्रवण करने के दौरान शायद उसके दिमाग में प्रसंग वश भगवान शिव की लीला बैठ गई हो और रास्ते में मिले सर्प पकड़ कर उसने गले में डाल लिया कई जगह काटने के बाद भी उसने सर्प को नहीं छोड़ा।