संवाददाता: जितेंद्र बहादुर सिंह
- बढ़ती महँगाई के दौर में पत्रकारों की सरकारी मान्यता की नवीनतम दर मात्र 5000 रुपये
- प्रेस प्रभाग में कार्यरत मधु,प्रमोद एवं शालिनी के संबंध में लिखित शिकायती पत्रों को दरकिनार कर तथाकथित मान्यताओं की खुलेआम सौदेबाज़ी हो रही है।
लखनऊ।आलू प्याज टमाटर यहां तक की धनिया,मिर्चे के भी दाम बढ़ रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में बढ़ती महंगाई को देखते हुए पत्रकारों को दी जाने वाली सरकारी मान्यता की सुविधा की न्यूनतम दर आज भी ₹5000 निर्धारित की गई है जबकि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा निर्गत किए गए मान्यता कार्ड की वार्षिक अनुमानित आय 5 लाख से लेकर 50 लाख तक आंकी जाती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के उपरांत करोड़ों रुपए की ठेकेदारी में मान्यता कार्ड वाले पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होकर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे लंबा वक्त गुजारना पड़ा लेकिन सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के हौसलों पर कोई आंच नहीं आई उनके द्वारा तथाकथित ठेकेदारों, बिल्डरों एवं राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं को जिस तरह से राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकार का दर्जा दिया गया है उसके संबंध में अनेक शिकायती पत्र मय शपथ पत्र एवं साक्ष्यों को सम्मिलित करते हुए दिए गए परंतु मिलने वाले दाम के आगे मुख्यमंत्री के दिशा निर्देश भी सूचना एवं जनसंपर्क विभाग पर लागू नहीं होते और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बातें सिर्फ खोखली नजर आती है।
वर्षों से प्रेस प्रभाग में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध शिकायती पत्र दिए जाने के उपरांत भी कार्रवाई न करके उनको प्रेस विभाग में उच्च पदों पर बैठा दिया गया है।
प्रेस प्रभाग में कार्यरत मधु,प्रमोद एवं शालिनी के संबंध में लिखित शिकायती पत्रों को दरकिनार कर तथाकथित मान्यताओं की खुलेआम सौदेबाज़ी हो रही है। राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त पत्रकारों के चुनाव की घोषणा होते ही कमाई के साधन भी बढ़ रहे हैं जिन पत्रकारों को ₹5000 देकर मान्यता कार्ड निर्गत किया गया है उनके जैसे लॉटरी लग गई हो क्योंकि चुनावी माहौल में खर्च किए गए ₹5000 भी मुंबई से आए धनाढ्य सेठों द्वारा रु10000 देकर अपने प्रत्याशियों के लिए वोट सुनिश्चित किए जाते हैं ।
वर्ष 2024 में राज्य मुख्यालय मान्यता नवीनीकरण की सूची देखी जाए तो अनेक ऐसे फर्जी समाचार पत्र एवं चैनलों से मान्यता नवीनीकरण की गई है जिनकी प्रसार संख्या नियमावली एवं मार्गदर्शिका के अनुरूप ही नहीं है परंतु सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में ऐसा खुला रेट चलता है कि पैसा फेंको और मान्यता कार्ड ले लो।
फर्ज़ी मान्यता प्राप्त पत्रकारो से मुख्यमंत्री कार्यालय की सुरक्षा में अनदेखे खतरे को नज़रंदाज़ नही किया जा सकता है।
समाज का चौथा स्तंभ के रूप में देखे जाने वाले पत्रकारिता के पेशे को कुछ पेशेवर लोगों ने जहां अपने दोहरे चरित्र से बदनाम कर रखा है वही सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी शपथ पत्रों एवं फर्जी प्रसार संख्या के आधार पर राज्य मुख्यालय की मान्यता करा कर न सिर्फ अति सुरक्षित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय सचिवालय बापू भवन और मुख्यमंत्री के कार्यालय लोक भवन के अंदर आने जाने का अपना पुख़्ता इंतज़ाम बना लिया है और वही से अपनी ठेकेदारी और व्यवसायिक कार्यो को अंजाम देने का स्थायी सरकारी पास प्राप्त कर लिया गया है।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी द्वारा मान्यता नवीनीकरण के प्रकरण को संजीदगी, गंभीरता से न लेकर ऐसे न्यूज़ चैनल जिनका न तो डीएवीपी में कोई अस्तित्व है और ना ही सूचना विभाग में कही कोई नाम है, मान्यता का अनुमोदन किया गया है
जिन न्यूज़ चैनल को न तो डीएवीपी द्वारा मान्यता दी गई हो और ना ही सूचना विभाग में सूचीबद्ध किया गया हूं ऐसे न्यूज़ चैनल से मान्यता किस आधार पर दी गई गंभीर जांच का विषय है।
न्यूज़ चैनल के साथ साथ ऐसे समाचार पत्रों को मान्यता दी गयी है जिनकी प्रसार संख्या davp की वेबसाइट में 25000 से कम दिखाई देती है लेकिन न नियम पढ़ा गया और न ही मानकों का ध्यान रखा गया, सिर्फ सबसे बड़ा रुपैय्या देखा गया और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को खोखला बनाने का काम किया गया।
इस पूरी साजिश में सिर्फ सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत नही हो सकती क्योंकि इस साजिश के तहत अति सुरक्षित भवन जहां प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री और आला अधिकारी आते जाते है वहां प्रवेश का रास्ता बनाया गया है इसलिए विदेशी संगठनो का हाथ होने से इनकार नही किया जा सकता। समस्त जानकारी DAVP की वेबसाइट पर उपलब्ध होने के बावजूद भी ऐसे लोगों को मान्यता दिया जाना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है जबकि न्यूज़ चैनल एवं समाचार पत्र की प्रसार संख्या किसी भी साधारण व्यक्ति द्वारा वेबसाइट से देखा और परखा जा सकता है परंतु 5000 रुपये थैले में डालो और मान्यता कार्ड सूचना विभाग से प्राप्त कर लो।