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इटावा/जसवंतनगर:टमाटर हुआ लाल,कैसे बनाएं सब्जी और दाल।

 संवाददाता:एम.एस वर्मा,इटावा ब्यूरो चीफ,सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270

    मनोज कुमार जसवंतनगर 


*टमाटर हुआ लाल,कैसे बनाएं सब्जी और दाल*

 रसोई में क्यों लगी है आग?टमाटर जो हुआ है लाल

जसवन्तनगर।पहले से ही महंगाई की मार से परेशान उपभोक्ताओं को एक और झटका लगा है। रोजमर्रा की जरूरतों में शामिल टमाटर के दाम आसमान छूं रहे हैं। एक सप्ताह में कीमतों में दोगुना इजाफा होने से विक्रेता और ग्राहक परेशान हैं। लगातार बढ़ रहे भाव के बाद कई लोग टमाटर खरीदने से कतराने लगे हैं।मानसून की शुरूआत होने से पूर्व जिले में टमाटर 40 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा था। पिछले सप्ताह बुधवार को टमाटर के दाम 40से 60 रुपये प्रति किलोग्राम थे। शुक्रवार को भाव बढ़कर 80 रुपये हो गए। सोमवार को 100 रुपये किलो टमाटर बिक रहे थे जबकि बुधवार को दाम बढ़कर 120 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गए हैं। जिस गति से टमाटर के दाम बढ़ रहे हैं, उसे देखकर लोगों को पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के बढ़ते दाम याद आने लगे हैं।सब्जी विक्रेताओ का कहना है कि बारिश के दिनों में टमाटर के दाम हर साल बढ़ते हैं। हालांकि इस बार जिस तरह से रोजाना कीमत बढ़कर आ रही है, वह चिंताजनक है। महंगाई के कारण ग्राहक भी सीमित मात्रा में टमाटर खरीदने लगे हैं।

        गृहणी अल्पना सिंह 

*कभी प्याज के दाम रुलाते हैं, तो कभी लाल हो जाता है टमाटर, क्यों हर साल महंगी हो जाती हैं सब्जियां? सप्लाई में कमी या कारण कुछ और?*

वहीं अदरक 200रुपये किलो, हरी मिर्च भी तीखी होकर200रुपये तक पहुँच गई है प्याज, तोरई,अरबी,बींस, टिंडे समेत कई सब्जियों के दाम भी दालों की तरह आसमान छूते जा रहे हैं। महीने भर के अंदर ही रसोई का बजट कैसे बिगड़ गया?

गृहणी पारुल

- महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही है। पहले ही रोजमर्रा की सामग्री के दाम आसमान छू रहे थे, अब दाम बढ़ने से टमाटर खरीदना भी मुश्किल हो गया है। लगातार बढ़ते दाम को देखते हुए फिलहाल टमाटर खरीदना ही छोड़ दिया है। जब दाम गिरेंगे, तभी टमाटर भोजन में शामिल होंगे। -गृहणी पारुल

            ग्रहणी भावना

खाद्य सामग्री महंगी होने का नुकसान गृहिणी को उठाना पड़ता है। स्वाद और मात्रा के बीच समझौता बिठाने में काफी दिक्कत होती है। टमाटर के बिना दाल हो सब्जी, खाने का स्वाद अधूरा लगता है। महंगा होने के कारण टमाटर का उपयोग कम करना मजबूरी बन गया है। -गृहणी भावना



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