संवाददाता: संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270
मनोज कुमार जसवंतनगर
पीतल का अनौखा ताजिया बना लोगों में कौतूहल
जसवंतनगर: ताजिए तो आपने बहुत देखे होंगे, लेकिन नगर के सराय खाम में शुद्ध पीतल का अनोखा ताजिया लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। करीब 150 किलोग्राम पीतल से तैयार इस ताजिए को पीतल नगरी मुरादाबाद से लाया गया था। मुरादाबादी कारीगरों को इसे निर्माण करने में एक वर्ष का समय लगा था। इस प्रकार का ताजिया आसपास जनपदों में देखने को नहीं मिलेगा यह जनपद का जसवंतनगर में इकलौता ताजिया है। बैसे तो अधिकतर जगहों पर बांस और चमकीले कागज से तैयार ताजिए ही रखे गए हैं, सोने जैसा चमकदार पीतल का ताजिये को देखने को सराय खाम मोहल्ला के फारूकी इमामबाड़े पर आज नौवीं एवं दसवीं मोहर्रम पर यहां लोगों का मजमा लगा रहता है। मुहर्रम बीतने के बाद और ताजियों को कर्बला में लेजाकर दफना दिए जाते हैं, लेकिन यह पीतल से निर्मित ताजिया को सुरक्षित रख दिया जाता है।
रोशनी में चमकता है।
शुद्ध पीतल के ताजिए के आसपास रोशनी की जाती है। इस चमकीली रोशनी की वजह से यह देखने में सोने जैसा चमकदार दिखता है।
फारूकी कमेटी ने रखा है।
कमेटी के बरिष्ठ सदस्य मुजीबुद्दीन फारूकी उर्फ बच्चू आदि के अनुसार पीतल के इस ताजिए को सराय खाम में फारूकी कमेटी द्वारा सराय खां मोहल्ला के फारूकी इमामबाड़े में पिछले 11 वर्षो से बाकायदा अकीदतमंदों के जियारत के लिए रखा जाता है। यह पहला आसपास जनपदों में इकलौता पीतल निर्मित ताजिया है, जो फारूकी कमेटी द्वारा शुद्ध पीतल का ताजिया मोहर्रम में स्थापित किया गया था।
मुरादाबाद के कारीगरों ने तैयार किया
पीतल के इस ताजिए को मुरादाबादी कारीगरों द्वारा तैयार किया गया है। इसे तैयार करने में एक साल का वक्त लगा था।
ऐसा है पीतल का ताजिया।
ताजिए की ऊंचाई साढ़े 7 फीट है।
इसका वजन 150 किलोग्राम है।
विशेष नक्काशी ताजिए का आकर्षण है। ताजिए को यौम ए शहादत के दिन कर्बला ले जाया जाएगा। बाद में इसे बंद कर वापस इमामबाड़ा सराय खाम लाया जाएगा।