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जसवंतनगर:निराश्रित अन्ना मवेशियों पर सरकार मेहरबान लेकिन जिम्मेदार उदासीन।

 संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270

  मनोज कुमार जसवंतनगर



निराश्रित अन्ना मवेशियों पर सरकार मेहरबान लेकिन जिम्मेदार उदासीन

*अन्ना गौवंशो से हादसों का अंदेशा

*मुख्यमंत्री योगी के आदेशों का नहीं हो रहा पालन

जसवन्तनगर।लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हाल ही के दिनों में अन्ना गौवंशों को लेकर हुई बैठक में सख्त आदेश के साथ इनको संरक्षित करने का निर्णय लिया गया ताकि गौवंशों के आवारा विचरण से होने वाली समस्याओं जैसे फसल बर्बादी, सड़क दुर्घटना आदि से निजात मिल सके।


लेकिन यहां जिम्मेदारों के उदासीनतापूर्ण रवैये लापरवाही से मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है।इसकी वानगी सीमा क्षेत्र के राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़क पर अन्ना गौवंशों के विचरण और जमावड़े से देखी जा सकती है।ऐसे अन्ना गौवंश यातायात और परिवहन के लिए एक बड़ी समस्या बन गए है।दिन में ही नहीं बल्कि रात में भी इस मार्ग के विभिन्न गांव एवं शहरी क्षेत्र में सड़क पर मवेशियों का जमावड़ा रहता है जिसके कारण वाहन चलाना काफी खतरनाक हो गया है।

नेशनल हाईवे,शहर की मुख्य सड़कों,लिंक मार्गों आम रास्तों पर आवारा मवेशियों का जमावड़ा लगा रहने से वाहन चालकों सहित राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।इससे कभी भी दुर्घटनाएं घट सकती हैं।नेशनल हाईवे की मुख्य सड़क पर मवेशियों का जमावड़ा के कारण सड़क दुर्घटनाएं हो रही है पिछले कुछ माह में क्षेत्र के दर्जनों लोग काल के गाल में समा चुके हैं इन हादसों के बाद भी नेशनल हाईवे अथॉरिटी द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।हाईवे की चौड़ी सड़क, बाजार की सड़कों पर अन्ना मवेशियों के झुंड या उनकी लड़ाई देखने को मिलती है।जो राहगीरों के लिए हादसे का सबब बनती है।नगर और ग्रामीण क्षेत्र में खाने के लिए हरी घास नहीं मिलने पर कूड़े में विचरण करते रहते हैं।क्षेत्र भर में अन्ना गोवंश की समस्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

गौशालाओं के आसपास रहने वाले लोगों ने हकीकत बयां कर बताया कि शासन स्तर पर जब सख्ती होती है तो ग्रामीण और नगर में संचालित गौशालाओं में बड़ी संख्या में अन्ना जानवरों को अधिकारियों के सामने दिखाया जाता है।कुछ दिन बाद एक या दो अन्ना गौवंश से ही संचालकों द्वारा गौशाला संचालित होती है।जबकि कागजों में सिर्फ बड़ी संख्या में अन्ना गौवंशो की दर्जगी रहती है और इनके रखरखाव का खर्चा संबंधित मदों से निकलता रहता है।आखिरकार सवाल यह है कि इन बेजुबानों की दुर्दशा और उनके हक पर कौन डाका डाल रहा है? हकीकत में इन बेजुबान गोवंशों को अपना ठिकाना तक नहीं मिल रहा है।सड़कों पर घू्म-घूम कर विचरण कर रहे हैं। गांव से लेकर शहर तक हर जगह अन्ना गोवंश का बेसहारा है।मजबूरन अन्ना गौवंश आपस में लड़कर दूसरों को नुकसान पहुंचा रहे। बीच सड़क पर बैठकर हादसों का कारण भी बन रहे हैं क्षेत्र में तीन दर्जन के करीब गोशाला बनी हुई हैं जिसमें से ग्रामीण क्षेत्र में सात गोशाला संचालित है जिसमें लगभग604गोबन्श संरक्षित हैं वहीं नगर पालिका क्षेत्र में एक गौशाला संचालित है जिसमें लगभग आधा सैकड़ा के करीब गोबन्श हैं।पालिका सहित 8 गौशाला संचालित हो रहीं हैं उसके बाद भी सैकड़ो अन्ना जानवर सड़कों खेतों और बाजारों में घूम रहे हैं।

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