उत्तर प्रदेश का मदरसा कानून अभी रद्द नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने हाल ही में इस कानून को धर्म निरपेक्षता के सिद्धांत के प्रतिकूल बताते हुए रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अर्जी पर सुनवाई पूरी की थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी.
यूपी में मदरसा कानून पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया
4 मार्च को हुई सुनवाई के आधार पर यूपी मदरसा ऐक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. इससे यूपी के 16000 मदरसों के 17 लाख छात्रों को बड़ी राहत मिली है. फिलहाल 2004 के कानून के तहत मदरसों में पढ़ाई चलती रहेगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई. इस ऐक्ट को असंवैधानिक करार देने वाले फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय प्रथम दृष्टया सही नहीं है. ये कहना सही नहीं कि ये धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन है. खुद यूपी सरकार ने भी हाईकोर्ट में ऐक्ट का बचाव किया था. हाईकोर्ट ने 2004 के ऐक्ट को असंवैधानिक करार दिया था.
बता दें कि मदरसा बोर्ड कानून के खिलाफ अंशुमान सिंह राठौड़ नाम के शख्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. राठौड़ ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती वैधता को चुनौती दी थी. इसी पर हाईकोर्ट ने 22 मार्च को फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 'असंवैधानिक' है और इससे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होता है. साथ ही राज्य सरकार को मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को सामान्य स्कूलिंग सिस्टम में शामिल करने का आदेश दिया था.