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इटावा: पत्रकारों के मान सम्मान, सुरक्षा, फर्जी मुकदमे के लिये डीजीपी का आदेश हवाहवाई।

 संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270

 

पत्रकारों के मान सम्मान, सुरक्षा, फर्जी मुकदमे के लिये डीजीपी का आदेश हवाहवाई। 

वर्ष 2017 से अब तक डीजीपी के द्वारा लिखे गए पत्रों को प्रदेश भर के पुलिस कप्तानों ने रद्दी की टोकरी में डाला

प्रदेश भर में पत्रकारों को झूठे मुकदमे में भेजा जा रहा जेल, 80 फीसदी जिलों के एसएसपी नही उठाते पत्रकारों के फोन 

सच्चाई छापी तो अपराधियो से मिलकर पुलिस पत्रकारों के विरुद्ध लिखती है झूठे मुकदमे, भेज देती है जेल 

डीजीपी कार्यालय से पत्र जारी होने के बाद आज तक किसी भी जिले में नही की गई पत्रकारों की कोई मीटिंग

इटावा। हाल ही में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने पत्रकारों के मान सम्मान सुरक्षा के लिए एक पत्र जारी किया है जिसमें उन्होंने सभी महानगरों के पुलिस कमिश्नर व जिलों के एसएसपी को पत्रकारों के मान सम्मान व सुरक्षा का आदेश दिया है। उस पत्र में डीजीपी कार्यालय द्वारा पूर्व में भेजे गए पत्रों का हवाला भी दिया है। इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के राज्य प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष सुघर सिंह पत्रकार ने डीजीपी के उक्त आदेश को हवा हवाई बताया है उन्होंने साफ-साफ कहा है उत्तर प्रदेश के किसी भी जिले में डीजीपी के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है पूर्व में भी इस तरह के डीजीपी कार्यालय द्वारा कई पत्र जारी किए गए जिन्हें उनके अधीनस्थ अधिकारियों ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया प्रदेश भर में सैकड़ो पत्रकारों पर झूठे फर्जी मुकदमे लगाए गए और उनके परिजनों को उनके साथियों तक को नहीं बक्शा गया जो आज तक मुकदमों से लड़ रहे हैं। डीजीपी कार्यालय से पत्र जारी होने के बाद किसी जिले में पुलिस अधिकारियों ने पत्रकारों की कोई मीटिंग नहीं ली। 


इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया वेलफेयर एसोसिएशन के जिला सचिब ने इटावा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कि एल० आर० कुमार पुलिस महानिरीक्षक कानून एवं व्यवस्था उत्तर प्रदेश द्वारा डीजीपी के निर्देश पर एक पत्र जारी किया गया जिसमें उन्होंने सभी महानगरों के पुलिस कमिश्नर व जिले के पुलिस कप्तानों को पत्रकारों की सुरक्षा के संबंध में पत्र लिखा है जिसमें पत्रकारों की समस्याओं के निराकरण हेतु जिले में एक सक्षम अधिकारी पृथक से नामित है अथवा नहीं, पत्रकारों के जीवन भय के दृष्टिगत समुचित सुरक्षा व्यवस्था एवं उनसे शिष्ट व्यवहार किया जा रहा है अथवा नहीं, पत्रकारों व उनके पारिवारिक जनों के विरुद्ध मिथ्या तहरीर के आधार पर अभियोग पंजीकृत तो नहीं किया जा रहे आदि बिंदुओं पर प्रदेश भर के पुलिस कमिश्नर व पुलिस कप्तान से जवाब मांगा है। इस जवाब को दो दिन में विभाग की ईमेल पर भेजने का निर्देश दिया गया था इस संबंध में किसी भी जिले में पुलिस कमिश्नर व एसएसपी ने ना ही पत्रकारों की मीटिंग बुलाई और ना ही किसी पत्रकार संगठन के अध्यक्ष सदस्यों से उनकी समस्या सुरक्षा के संबंध में कोई जानकारी हासिल की बल्कि फर्जी तरीके से डीजीपी के पत्र का जवाब देकर आदेश को रद्दी की टोकरी में डाल दिया उन्होंने कहा कि वर्ष 2017, 2018, 2019, में भी डीजीपी कार्यालय द्वारा पत्रकारों की सुरक्षा सम्मान व फर्जी मुकदमे से संबंधित पत्र लिखे गए थे और सख्त निर्देश दिए गए थे लेकिन उन पत्रों के बाद भी जिले के पुलिस कप्तानों ने कोई मीटिंग नही ली और न ही पत्रकारों के ऊपर दर्ज मुकदमे पर कोई ध्यान दिया गया। प्रदेश अध्यक्ष ने डीजीपी प्रशांत कुमार को इस सम्बन्ध में एक पत्र भी लिखा है उन्होंने कहा कि पत्र जारी होने के बाद जब तक प्रदेश भर के जिलों के पुलिस कप्तान पत्रकारों की मीटिंग नही लेंगे तब तक ऐसे आदेशों को जारी करने से कोई फायदा नही है। डीजीपी कार्यालय द्वारा वर्ष 2017 में पत्र जारी करना शुरू किया गया था उसके वाद से अब तक प्रदेश भर में सैकड़ों पत्रकारों पर झूठे मुकदमे लिखकर जेल भेजा गया। उन्होंने मांग की कि प्रत्येक जनपद में पत्रकारों की सुनबाई के लिए एक राजपत्रित अधिकारी नामित किया जाए जो पत्रकारों के विरुद्ध प्राप्त शिकायत पर निष्पक्ष जांच करें उसके बाद अगर पत्रकार दोषी पाया जाता है तो उसके विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत किया जाए।


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