संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270
मनोज कुमार जसवंतनगर
दसलक्षण पर्व की श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में धूम।
मन वचन में कुटिलता न होना ही आर्जव धर्म है।:बाल ब्रमचारी राहुल भइया
जसवंतनगर/इटावा।
श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में दसलक्षण पर्व जोरों शोरों के साथ संपन्न हो रहे हैं। कार्यक्रम में प्रतिदिन भोर सवेरे प्रभातफेरी में सैकड़ो बच्चे पहुँच रहे है।तत्पश्चात युवा पीत वस्त्र धारण कर मंदिर में अभिषेक पूजन के लिए एकत्रित होकर पुरुषों ने गंध कुटी में भगवान को विराजमान कर सवर्ण मयी कलशों से भगवान का अभिषेक व शांतिधारा की। नित्य नियम पूजन के बाद सोलह कारण, पंचमेरू, णमोकार मंत्र दसलक्षण धर्म आदि की सामूहिक पूजा की गई। संध्या के समय आरती व तन्मयता से भक्ति सम्पन्न हुई।
रानीपुर से पधारे उत्कृष्ट विद्वान बाल ब्रमचारी राहुल भैया का सांनिध्य प्राप्त हुआ उनके द्वारा आध्यात्म की अनवरत ज्ञान गंगा का तीनो टाइम रसापान कराया जा रहा है। सुबह सात तत्व पर चर्चा, दोपहर में जीवन पथ दर्शन, रात्रि 9 बजे दसलक्षण धर्म पर मंगलमय प्रवचन किये जा रहे हैं। दसलक्षण महा पर्व पर छोटे-छोटे बच्चे युवा रात्रि भोजन का त्याग आदि नियम कई महिला व पुरुष एकासन उपवास कर धार्मिक कार्य में अपना पुण्य उपार्जन कर धन्य हो रहे है।बाल ब्रमचारी राहुल भइया ने उत्त्तम आर्जव धर्म के बारे में प्रवचन के दौरान कहा कि हे भव्य जीव कपट रूप व्यवहार तुम कभी मत करो। सदैव अपने मन, वचन, काया को एक रखो। अपना चंचल चित रोकने के लिए आर्जव का सहारा लो। मन वचन की सरलता अर्थात कुटिलता का न होना ही उत्तम आर्जव धर्म है।