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मैनपुरी: ठग और बेईमान वर्मा सर्बिस सेंटर का मालिक साहबसिंहअंत में जायेगा जेल।

 

मैनपुरी 

ठग और बेईमान वर्मा सर्बिस सेंटर का मालिक साहबसिंहअंत में जायेगा जेल.

विवरण 

अभी तक इस बेईमान साहब सिंह के बारे मे बहुत कुछ लिखा और बताया जा चुका है. पर इस पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा है।क्योंकि ठग जनता है ज़ब हमने ठगी की है तो लोग तो कुछ न कुछ जरूर बोलेंगे।

आप लोगों के मन मे एक बात जरूर आ रही होगी कि ज़ब इसने नोटेरी फर्जी बसीयत अपने पिता स्व रामनाथ के नाम से बनबाई तो इसके अन्य भाइयों ने कोर्ट का सहारा क्यों नहीं लिया।

बिल्कुल लिया गया, मैनपुरी रिबेन्यु कोर्ट मे इसके खिलाफ अपील डाली गईं.वो मुक़ददमा साहब सिंह वनाम श्याम सिंह आदि चला।

ज़ब साहब सिंह क़ो लगा अब हम हारेंगे, तो इसने एक प्रार्थना पत्र कोर्ट मे दाखिल किया कि एक अप्लीकेशन पर दो बातों का निस्तारण नहीं किया जा सकता,मामला सुनबाई और स्टे का था.

इसकी अप्लीकेशन एस डी एम कोर्ट ने ख़ारिज कर दी. तो ये शैतान ठग साहब सिँह इस आदेश के खिलाफ आगरा कमिशनरी चला गया. वहाँ पर 8साल तक ये मामले के उलझाए रखा. नियमित सुनवाई से दूर भगता फिरता रहा. अंत मे कमिशनरी से आदेश हुआ.

साहबसिंह की मंशा बाद क़ो लंबित रखने की है. अवर न्यायालय का आदेश न्याय संगत है. लिहाजा अपील बलहीन होने के कारण ख़ारिज की जाती है.

अपील ख़ारिज होने के बाद ये ठग हाईकोर्ट चला गया. वहाँ मामला पेंडिंग हो गया. साहबसिंह से छोटा भाई इलाहाबाद कोर्ट मे पैरवी करता रहा.ये ठग सो गया. कोर्ट गया नहीं बकील क़ो भी फीस बगैरह नहीं दी होगी. या इसके भाई ने बकील से मेल कर लिया होगा. वहाँ पर इसकी अपील अदम पैरबी मे ख़ारिज हो गईं.उसके भाई ने ये राज छुपा लिया. ज़ब अप्पील का समय बार्ड हो गया तब उसने एस डी एम कोर्ट मे वह आदेश देने की कोशिश की. तो इस ठग ने कोर्ट से वह फाइल ही गायब करा दी. इस बीच ठग अपनी बहिनों और रिश्तेदारों से मिला और बोला हमारी मंशा बेईमानी की कतई नहीं है हमारा समझौता करा दिया जाये.

समझौता क्या था इसके हिस्से की भूमि पर तीनों भाइयों ने कब्जा कर लिया था. ज़ब तक तुम बटबारा मैनपुरी मे नहीं करोगे तब तक ये भूमि हम ठग साहबसिंह क़ो जोतने बोने नहीं देंगें.

इसने अपनी बहिनो से शर्त रखी कि पहले हमको हमारी खेती पर कब्जा करा दो उसके बाद हम मैनपुरी की जमीन का बटवारा करेंगे. जो भाई मुक़ददमा बगैरह लड़ रहा था उसने बिरोध किया. नहीं पहले मैनपुरी से बटवारा होगा क्योंकि बिबाद मैनपुरी की जमीन क़ो लेकर है जो बेईमान ने अपने नाम करा ली है.न कि हरकू पुरा की जमीन क़ो लेकर,यहाँ पर कोई चीज किसी ने भी अपने नाम नहीं कराई गईं है पर तीसरे भाई प्रेम सिंह,और चौथे भाई श्याम सिंह की पत्नियों क़ो साहबसिंह की बात ठीक लगी उनको ये लगा ये भाई मुक़ददमे मे क्यों उलझ रहा है. कहीं से भी बटे, बटना चाहिए.इस बीच श्याम सिंह की पत्नी क़ो ये पता चल गया कि मुक़ददमा श्याम सिंह के नाम से पड़ा है. तो इस महिला ने अपने पति श्याम सिंह क़ो समझा दिया दिया.कि साहब सिंह ने हमको आश्वस्त किया है कि हम तुमको तुम्हारे हिस्से की भूमि दे देंगें.श्यामसिंह अपने उस भाई से बोला जो मुक़ददमे की पैरवी कर रहा था कि अब तू मैनपुरी की जगह भूल जा हमने साहब सिंह से हाथ मिला लिया है.श्याम सिंह की विनाश काले विपरीति बुद्धि हो गईं.

बहिनो और भाइयों की पत्नियों के आगे उस भाई की एक नहीं चली. फिर भी उसने प्रेमसिंह की पत्नी से कहा तुम इस मामले मे कुछ ज्यादा ही दखलन्दाजी दे रही हो अगर ठगरा ने यहाँ कब्जा करने के बाद मैनपुरी मे जगह नहीं बाँटी तो हम ठगरा साहबसिंह की भूमि की जगह तुम्हारी भूमि जोत लेंगें. इस बात पर बरेली बाली बहू पुष्पा तैयार हो गईं. अंत मे वही हुआ जिसका डर था. हरकुपुर मे सभी चीज का बटवारा विधिवत करबा कर कब्जा करके ठग ने मैनपुरी मे सिगट्टा दिखा दिया.

जो भाई इस ठग से लड़ रहा था. वह भाई इन सब से क्रोधित हो गया. और बहिन भाइयों से रिश्ता खत्म करके गाँब हरकुपुरा क़ो छोड़कर बदले मे जसवंतनगर के मकान में एकाकी होकर रहने लगा. फिर भाइयों ने उसको मनाने की बहुत कोशिश की. उसने एक ही बात कही ठग की बातों मे तुम आये हम तो नहीं आये अब तुम उससे कैसे निपटते हो तुम जानो, हमने अपना मैनपुरी का हिस्सा छोड़ दिया है. तुम तीनों भाई हमारे हिस्से की भूमि बराबर बराबर बाँट लो. हमको कोई आपत्ति नहीं है.

पर दिल पर लगी चोट क़ो वह भाई वर्दास्त नहीं कर पाया तो उसने मैनपुरी कोर्ट मे इसके खिलाफ ठगी का मुक़ददमा पंजीकृत करा दिया. उसमें इस ठग क़ो अदालत ने तलब कर लिया. अब ये ठग छोटी बहिन के पास शिकोहाबाद सपत्नीक पहुँचा, गिड़गिड़ाया पर खरे स्वभाब की बहिन ने दो टूक जबाब दे दिया हम इस मसले पर कुछ नहीं कर सकते. क्योंकि उसने हमसे भी संबध ही तोड़ दिये है और ये सब तुम्हारी खातिर ही तो हुआ है. उसके तो रक्षाबंधन भी नहीं होते है. जिद्दी स्वभाब का भाई उस दिन से किसी से भी अपनी कलाई पर राखी भी नहीं बंधबाता है.

थक हार कर वहाँ से बैरंग लौट आया और हाईकोर्ट मे इस आदेश के खिलाफ अपील करके स्टे प्राप्त कर लिया है.अब समय गुजर रहा है. देखते जाइये आगे आगे होता है क्या?

इन चली न्यूजें ने साहब सिंह क़ो बिल्कुल नग्गा कर दिया है. जो अपने क़ो समाज में पैसे बाला बनता था उसकी तो पोल खुल गईं.

अब तिलमिलाया हुआ ठग पत्रकार के खिलाफ जसवंतनगर थाने बगैरह में झूठा मुक़ददमा लिखाने के लिए चक़्कर काट रहा है.

पत्रकार का काम ही सच क़ो दिखाना है. सो दिखाया गया है.


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