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बोकारो: बोकारो अधिवक्ता संघ ने अधिवक्ता के ऊपर झूठे केस करने का लिया संज्ञान।

संवाददाता: राजेश कुमार 

अधिवक्ता के ऊपर झूठे केस और अधिवक्ता के मौत पर पुलिस की मौत को देखते हुए अधिवक्ता संघ ने एक जांच कमेटी गठित की आज बोकारो अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष ठाकुर कालिका नंद सिंह, उपाध्यक्ष बासुदेव गोस्वामी महासचिव प्रभारी, महेश चौधरी, कोषाध्यक्ष सोमनाथ शेखर एवं कार्यकारिणी सदस्य गण ने एक निर्णायक फैसला लिया है । जिसके अनुसार अधिवक्ताओ के साथ हो रहे दुर्व्यवहार, धमकी तथा गलत, झुठे और मनगढ़ंत तथ्यों के अधार पर अधिवक्ताओं पर झूठे केस दर्ज करा कर भयादोहन, ब्लैकमेलिंग की घटनाएं सामने आ रही है। अधिवक्ता संघ और अधिवक्ता सदस्यो का खुलेआम मानहनन की जा रही है। पिछले दिनों में कई अधिवक्ता झूठे केस के शिकार हुए हैं। यहां तक कि अधिवक्ता का हत्या भी किया गया है। पुलिस प्रशासन अधिवक्ताओं को ही कसुरवार मानकर जांच/अनुसंधान में ढिलाई बरती जाती है। ऐसे मामलों को संघ अपने स्तर से जांच कराने और सही तथ्यों को सामने लाने के उद्देश्य से संघ के उपाध्यक्ष बासुदेव गोस्वामी जी के नेतृत्व में 7 सदस्यीय facts finding committee के गठन का निर्णय लिया है। कमिटी में कार्यकारिणी सदस्य सृष्टिधर सिंह, संमपुरण चंद्र लायक, मृत्युंजय मल्लिक के अलावा संघ के पुर्व कोषाध्यक्ष दिनेश प्रसाद शर्मा, वरीय सदस्य ददन सिंह, और संजीव कुमार पाठक को रखा गया है।

संघ की कार्यकारिणी ने facts finding committee को राजु रंजन सिंह, सचिन तथा अन्य अधिवक्ता सदस्यो को संलिप्त कर चास थाना में जो झुठा मुकदमा दर्ज कराया गया है उसकी निष्पक्ष जांच कर सही तथ्यों को संघ और पुलिस प्रशासन के सामने लाने को दायित्व सौंपा गया है। और साथ ही बोकारो संघ के महासचिव श्री महेश चौधरी जी के नेतृत्व में जिस कमेटी की गठन किया गया है यह साफ संदेश समाज और पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों पर दिया जा रहा है कि अब किसी भी कीमत पर सधं अब चुप नहीं बैठेगी क्योंकि जिस तरह लगातार अधिवक्ताओं को ऊपर पुलिस के द्वारा केस दर्ज कर दी जाती है अगर अधिवक्ता पहले भी आकर अपना आवेदन देती है फिर भी पुलिस उसमें सुस्ती दिखाती है और अगले वाले पार्टी को प्राथमिकता दे दी जाती है और अधिवक्ताओं को ठेंगा दिखा देती है इस तरह से देखा जाए तो पुलिस की जो कार्रवाई अधिवक्ताओं के ऊपर की जाती है वह बड़े शर्म की बात है पुलिस अधिकारियों को भी यह सोचना चाहिए कि आप कैसे जांच किए बगैर केस दर्ज कर रहे हैं पहले आप अधिवक्ताओं के ऊपर लगे आरोपों सत्यता जांच कर ले बोकारो अधिवक्ता संघ में जाकर पूछताछ कर ले उसके बाद ही कोई केस दर्ज करनी चाहिए लेकिन पुलिस तो अपनी ताकत दिखती है देखो मेरे अंदर कितनी ताकत है कि मैं अधिवक्ताओं को भी अंदर कर सकता हूं जो सही तरीका नहीं है न्याय सबके लिए बना है समाज में यह भी संदेश जाना चाहिए कि आज अधिवक्ता के द्वारा ही लोगों को न्याय मिलती है अगर यह अधिवक्ता समाज ना रहे जिस तरह पुलिस अपनी कार्रवाई करती है उससे किसी व्यक्ति को न्याय कदापि नहीं मिल सकती है क्योंकि पुलिस जांच के नाम पर खाना पूर्ति करती है कोई कार्रवाई नहीं करती है लेकिन यही अधिवक्ता न्याय दिलाता है पूरी न्याय व्यवस्था अधिवक्ता पर टिकी हुई है अगर समाज में अधिवक्ता समूह ना रहे तो कई निर्दोष व्यक्ति पुलिस के जुल्म के शिकार हो जाएगी और कई कुछ ऐसी महिलाएं और लड़कियां जो पैसे ऐठने के धंधे में लिप्त है वह कई झूठे मुकदमा पुलिस के द्वारा करवा कर उसे सलाखों के अंदर डलवा देगी आज संघ के इस ऐतिहासिक निर्णय को सभी अधिवक्ताओं में यह साफ संदेश जाती है की सभी अधिवक्ताएं संघ के अधीन है और एक बुद्धिजीवी अधिवक्ता पर अखबारों में निकलने से पहले बोकारो संघ के परमिशन जरूर ले लेना चाहिए अखबारों में प्राय यह देखा जाता है


कि अगर कोई केस अधिवक्ताके को ऊपर होती है तो सबसे पहले अपनी लोकप्रियता पाने के चक्कर में हुए अपने बड़े-बड़े हेडिंग देती है अधिकताओं समय 6 लोगों पर पास्को एक्ट में केस दर्ज ये कहीं से भी सही है अखबार के रिपोर्टर को भी अधिवक्ताओं का सम्मान करना चाहिए आज बड़े-बड़े सभी अखबारों में यह लिखा गया अधिवक्ताओं के ऊपर पॉस्को एक्ट में केस दर्ज संघ और बोकारो का सभी अधिवक्ता यही प्रश्न अखबार वालों और पुलिस पर भी यह सवाल उठाती है कि कुछ दिन पहले बोकारो संघ के नियमित सदस्य सुरजीत मुखर्जी की जिस हालत में संदेह स्थिति में उनकी बॉडी मिली थी और उनके पिता के द्वारा आवेदन दिया गया क्या किसी अखबार वालों ने यह लिखने की कोशिश की की यह अधिवक्ताओं की मौत कैसे हुई है नहीं क्योंकि वह जरूरी नहीं समझी अखबार वालों को तो अधिवक्ताओं के खिलाफ जो मुकदमा या घटना आएहै वही निकलती है यही प्रश्न पुलिस से भी बोकारो केअधिवक्ता यह भी पूछता है कि क्या पुलिस ने इस पर कोई कार्रवाई की नहीं वह केवल यूडी केस में केस दर्ज कर देती है और एक बूढ़े मां पिता अपने बेटे की न्याय के लिए दर-दर भटक रही है उसने बोकारो के पुलिस अधीक्षक डीआईजी उपयुक्त कई लोगों को अपना आवेदन दिया लेकिन अभी तक किसी प्रकार का कोई कार्रवाई नहीं किया गया यह भी एक सच्चाई है यह भी एक अधिवक्ता है जिनका निष्पक्ष जांच होनी चाहिए लेकिन इस पर पुलिस की ध्यान नहीं जाती है जिस तरह पोस्टमार्टम रिपोर्ट दी गई है वह भी संदेह के स्थिति में है क्योंकि जब भी व्यक्ति डूबता है तो उसका शरीर में पानी घुस जाने के कारण शरीर फुला हुआ नजर आता है लेकिन जो अधिवक्ताओं ने उनके शरीर को दिखा सभी ने यही बताया कि किसी भी दृष्टि से वह डूबता हुआ शरीर नजर नहीं आता है जरूर उसकी हत्या कर पानी में डुबो दिया गया था और इसकी शिकायत सुरजीत बनर्जी ने अपनी पत्नी और अन्य लोगों के खिलाफ एक सीपीकेएस भी दर्ज कराया था और साथ ही उसने लिखित आवेदन भी बोकारो एसपी को दिया था लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई और जिसकी भरपाई उसे बेचारे को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी क्या इस पर किसी अखबार वालों की नजर नहीं गई इस केस में किसी पुलिस वालों की कोई दिलचस्प नजर नहीं आती लेकिन एक अधिवक्ता के ऊपर झूठा केस कर दिया जाता उसे पर तो सभी अखबार वालों पुलिस वाले पड़ जाते हैं लेकिन अब वह ऐसा नहीं होगा क्योंकि आज के बोकारो के सधं मजबूत है और को भी निर्णय ऐतिहासिक लेती है आज इन्होंने जिस कमेटी की गठित की यह बड़ा ही सराहनीय और ऐतिहासिक कदम है अब समाज के सभी वर्ग और बोकारो पुलिस के आला अधिकारी भी समझ जाए कि अब बोकारो अधिवक्ता संघ एक महाशक्ति है है और अपने सदस्यों के लिए बराबर खड़ी रहेगी और यह भी संदेश दे दिया है कि कि अगर अधिवक्ता के ऊपर लगे आरोपों को जांच कमेटी के द्वारा सही पाई जाती है तो उसके ऊपर भी सधं द्वारा कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी यह भी बात साफ-साफ संघ के द्वारा दे दिया गया है लेकिन हाल के सत्ता के ऊपर पुलिस के द्वारा जो कार्रवाई की की जा रही है और अखबारों में जिस तरह अधिवक्ताओं का नाम बड़े ही जोर-जोर से उछाला जा रहा है बहुत ही दुखद और निंदनीय है आज बोकारो संघ के महासचिव और संघ के कार्यकारिणी सदस्यों ने आज जो निर्णय दिया है वह बड़ा ही साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय है


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