संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270
वाल्मीकि जयंती : पछाँयगांव के बेला आश्रम पर बाल्मीकि समाधि के दर्शन करने पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालु
इटावा। जनपद इटावा प्राचीन काल से ही ऋषि मुनियों की तपोभूमि रहा है। यहां तमाम प्राचीन मंदिर, किले, ऐतिहासिक स्थल आज भी मौजूद है इनमें एक महृषि बाल्मीकि का आश्रम भी है किवदंती है कि आदिकवि रामायण के रचयिता भगवान बाल्मीक ने अपना शरीर यही पर छोड़ा था। आज तक वाल्मीकि के निधन व समाधि का कहीं जिक्र न होने के कारण यह किवदंती बलबती हो जाती है। और इसी समाधि पर दशकों से लोग पूजा अर्चना करते चले आ रहे है।
इटावा जिले के पछाँयगांव क्षेत्र के अंतर्गत बेला गांव में बीहड़ में यमुना नदी के किनारे स्थित बाल्मिक ऋषि के आश्रम पर आज कई जनपदों से आए लोगों ने दर्शन पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया यमुना नदी के किनारे ऊंचे टीले पर स्थित एक प्राचीन समाधि है किवदंती है कि आसपास के ग्रामीणों को बाल्मीकि ऋषि द्वारा स्वप्न दिया गया कि मेरी समाधि यमुना के किनारे हैस्वप्न को सच मानकर स्थानीय लोगों द्वारा समाधि की खोज की गई और उसके बाद पूजा अर्चना शुरू की गई। जो आज भी लगातार जारी है। समाधि पर पूजा करने से कई भक्तों की मनोकामना पूरी हुई है जिसके बाद भक्तों ने मंदिर चबूतरे का निर्माण व समाधि का जीर्णोद्धार कराया है। फौज से।रिटायर होकर अपने घर आये एक फौजी ने भी अपनी रिटायरमेंट का पैसा मंदिर में लगाकर वहीं समाधि पर रहकर भजन साधना में लीन रहते हैं बताते हैं उन्हें भी बाल्मीकि ऋषि ने स्वप्न में आकर अपनी सेवा करने का आदेश दिया था जिसके बाद वह लगातर आश्रम में रहकर साधना करते है। किवदंती है कि लव कुश का जन्म इसी आश्रम में हुआ था और बिठूर के बाद बाल्मीकि ऋषि यही आकर रहे थे और यही पर अपना शरीर छोड़ा था।बैसे इतिहास में किसी भी जगह बाल्मीकि के निधन व समाधि का जिक्र नही है इसलिए यह किवदंती और बलबती हो जाती है कि यह समाधि वाकई में बाल्मीकि ऋषि की समाधि है।इसी वजह से हजारों भक्तों की मनोकामना पूरी होती है और लोगों का यहां लगातार आवागमन बना रहता है। वर्तमान में समाधि पर रमेश पुजारी व फौजी बाबा रहकर सेवा कर रहे है।