संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270
मनोज कुमार जसवंतनगर
शिवपाल यादव,अंकुर यादव की उपस्तिथि में आयोजित हुआ विराट कवि सम्मेलन
जसवंतनगर/इटावा
विश्व प्रसिद्ध मैदानी रामलीला शनिवार को देर रात आयोजित कवि सम्मेलन के साथ समापन हो गया, कवि सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने दीप प्रज्वलित कर एवं आदित्य यादव अंकुर ने श्रद्धेय नेता जी और अजय लंबरदार,ब्रह्म शंकर गुप्ता, ब्रजनंद शर्मा के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया,जिसकी अध्यक्षता एडवोकेट प्रदीप गुप्ता ने की इस अवसर पर शिवपाल सिंह यादव को एक बड़ी पुष्प हार डालकर रामलीला समिति के सदस्यों ने सम्मनित किया।
एक ओर आदित्य यादव को पटका डालकर अश्वनी गुप्ता व जितेंद्र यादव मोना ने स्वागत अभिनंदन किया। मुख्य अतिथि शिवपाल सिंह यादव ने उपस्थित सभी कवियों को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया,8सालों से भाजपा ने सड़कों के गढ़ुढ़े भी नहीं भर पाये.
अपने उदबोधन में शिवपाल सिंह ने कहा कि समाजवादी सरकार रही तभी विकास हुआ भाजपा की आठ साल की सरकार में सड़को के गड्ढे तक नही भरे गए हर विभाग में भ्रष्टाचार है.पुलिस के बारे मेंकहा पूरा प्रदेश नौकर शाही के हबाले किया
शिवपाल ने मंच से सरकार पर जमकर निशाना साधते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने प्रदेश को पूरी तरह से नौकर शाही के हबाले कर दिया है. उन्होंने कहा पुलिस का काम जनता की सेवा करना है। लेकिन पुलिस जनता का शोषण कर रही है।ज़ब में जसवंतनगर आया तो यहाँ के व्यापारियों ने मुझसे कहा कि पुलिस और यहाँ के अधिकारी मुझसे बदतमीजी कर रहे है.कहा बदतमीजी की लिखित में शिकायत करें.पुलिस और सत्ता के बदलने का समय आ गया है। साथ ही उन्होनें कहा कि जब जब समाज और देश पर संकट आया है तभी कवियो ने अपनी कविताओं से देश को एक जुट होने का संदेश अपनी कविताओं के माध्यम से दिया है और सत्ता से सत्ताधारी दल को वेदखल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.कवि सम्मेलन का प्रारम्भ में साक्षी तिवारी ने सर्व प्रथम सरस्वती वंदना कर कवि सम्मेलन का शुभारम्भ किया, कवियित्री प्रतीक्षा चौधरी ने भगवान राम भक्ति के गीत गाकर भक्ति वातावरण बना दिया इसी बीच शिवपाल सिंह की तारीफ में मयंक विधोलिया ने शुरुआती काव्य पाठ करते हुए शिवपाल सिंह व समाजवादी पार्टी की तारीफ के कसीदे पढ़ खूब शिवपाल सिँह का आशीष प्राप्त किया काव्य जगत का एक बड़ा नाम अंतर्राष्ट्रीय कवि "शबीना अदीब" अपने शेर और शायरी से लोगो को एक टक बाधे रखाहिन्दू मुस्लिम एकता पर बल देकर के कई काव्य पाठ प्रस्तुत किये
शहर के दुःख से अनजान कोई नही, कैसे कह दूं परेशान कोई नही, वो जो आपस मे लड़ते है, उस भीड़ में, आदमी सब है इंसान कोई नही।
जो खानदानी रहीस है वो मिजाज रखते है नरम अपना तुम्हारा लहजा बता रहा है। तुम्हारी दौलत नई नई है।.
इसी क्रम में 'अकबर ताज' जो आँखो से देख नहीं सकते लेकिन इस इस दुनियाँ को अपनी काव्य पाठ से दीखते हुए बेटी के काव्य पाठ लोगो को भाव भिभोर कर दिया 'हमेशा रोशनी बनकर नजर में झिलमिलायगी,मुझे वो ठोकरे खाने से गिरने से बचायेगी, मेरे बेटे भी अच्छे है मगर मेरी बेटी बड़ी होकर दुनियां दिखायेगी,
काव्य जगत का एक बड़ा नाम विष्णु सक्सेना ने काव्य पाठ पड़ते हुय जसवंतनगर को आई लव यू कहा ओर एक के बाद एक काव्य पाठ पढ पूरे सदन का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
मेरी आबाज की खुश्बू को अदाएं दे दे
तू जीत जाए तो में बार बार हारुगा खुशी के आँसू से आरती उतारूंगा मेरी दुआ है कि तू आसमान हो जाये जमी से तेरी मैं ऊँचाईया निहारुगा
प्यास बुझ जाए तो शबनम खरीद सकता हूँ,जख्म मिल जाएगा तो मरहम खरीद सकता हूँ ये मानता हूँ कि दौलत नही कमा पाया मगर तुम्हारा हर एक गम खरीद सकता हूँ।"रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा,एक आई लहर कुछ बचेगा नही तुमने पत्थर सा दिल हमको कह तो दिया पत्थरो पर लिखोगे मिटेगा नही।
"चाँदनी रात में रंग ले हाथ मे जिंदगी को नया मोड़ दे तुम हमारी कसम तोड़ तो हम तुम्हारी कसम तोड़ दे पर पूरे खचाखच भरे पंडाल को गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया"
वीर रस के प्रख्यात कवि अर्जुन सिंह सिसोदिया ने शौर्य की गाथा जिसमे वीर देश भक्ति के गीत जिसमे चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह वीर की गाथा सुनाकर लोगो मे देश भक्ति की भावना से ओत प्रोत कर दिया कवि सम्मेलन का समापन हुआ.मुख्य अंतिम वक्ता को भी शिवपाल सिँह ने सुना.
पब्लिक के न होने की बजह से शिवपालसिंह यादव को करीब करीब एक घंटा इंतजार करना पड़ा तब कहीं जाकर पब्लिक आई. पत्रकारों के वारे में मंच से कई बार कहा गया कि इनकी लेखनी की ही दम पर आज हमारी रामलीला जसवंतनर को मैदानी रामलीला के रूप में युनेस्को ने हमको दुनियां की प्रथम राम लीला माना है. उन्ही पत्रकारों को इस कवि सम्मेलन में भारी जिल्ल्त झेलनी पड़ी.
पानी भी माँगकर पीने को मिला. उन्ही पत्रकारों के सामने समिति के लोगों ने कवियों ने तीन तीन तीन वार चाय कॉफी का आनन्द लेकर पत्रकारों को ललचाया.
हम बात चाय की नहीं चाह की कर रहे है.जहां चाह ही खत्म हो जाय तो चाय औरअन्य बातें बेमानी है.आपने बो गाना तो सुना ही होगा
मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं.
यूँ जा रहे है जैसे हमें जानते नहीं..
कवि सम्मेलन में हमारी तरफ से भी एक नज्म पेश है.
उनकी चाहत में दिल मजबूर हो गया
दर्द देना उनका दस्तूर हो गया
कसूर उनका ही नहीं हमारा था
चाहा ही उनको इतना कि उनको गुरूर हो गया.