इटावा/जसवंतनगर
पुरानी परम्परा टेशू एवं झेझी के विवाह के बाद ही शुरू होंगे शादियों के शुभ मुहूर्त.
कलाकार गीतम सिंह प्रजापति
उन्हें तरह-तरह के रंग से राजा टेशू और झेझी जी को सजाते हुए
शरद पूर्णिमा की रात को जमा किए गए धन से टेशू की बारात निकाली जाती है उधर लड़कियां भी जमा किए गए धन से झेझी की विवाह की तैयारी करती हैं किसी सार्वजनिक स्थान पर धूमधाम से राजा टेशू और झेझी का ब्याह कर दिया जाता है उसके बाद उनका विसर्जन कर दिया जाता है। इटावा जिला की तहसील जसवंतनगर के गाँब कोकाबली निवासी गीतम सिंह रामलीला मेला में पुतले टेसू बेचने वाले ने बताया कि टेसू की कीमत 100 से 200 रुपए तक हैं। अधिकतर लोग बच्चों के लिए इन्हें खिलौने के रूप में खरीदते हैं हालांकि कुछ घरों में अब भी पारंपरिक रूप से टेशू और झेझी का पूजन किया जाता है
बताया जाता है टेशू और झेझी वह दो शख्सियत जिनकी शादी के लिए बच्चे घर-घर जाकर अनाज और रुपए एकत्रित करते हैं, और इस युवा इस परम्परा को पूरी शिद्दत के साथ खेलते हैं।इसे लड़के और लड़कियों की टोली टेशू और झेझी को लेकर घर-घर जाकर रुपए एकत्रित करते हैं और पूर्णिमा के दिन टेसू और झेझी की शादी कराकर उन्हें विसर्जन कर देते हैं। यह महाभारत कालीन परंपरा हमारे जसवंतनगर शहर में आज भी जीवित है हालांकि अंतर बस इतना आया कि अब वह कॉलोनी और सोसाइटी की जगह यह मोहल्ले और बस्ती में बची हुई है।
यह एक खेल है जिसके माध्यम से शादी की रीति रिवाज की शिक्षा दी जाती है। जानकार बताते हैं की महाभारत काल कुंती के विवाह से पहले दो पुत्र हुए। इनमें से कुंती ने अपना एक पुत्र जंगल में छोड़ दिया, जिसका नाम बब्बरवाहन था। यह बड़ा होकर उपद्रव मचाने लगा। जिसका श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से सिर काट दिया, लेकिन अमृत पीने के कारण वह नहीं मरा। जब श्री कृष्ण को पता चला कि विवाह बाद इसे मर जा सकता है तो उन्होंने छल से इसका विवाह कराया, इसके बाद उसका संहार किया, तब से यह खेल शुरू हुआ।बाइट कलाकार गीतम सिंह प्रजापति