संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270
मनोज कुमार जसवंतनगर
जसवंतनगर में आचार्य विद्यासागर महाराज के अवतरण दिवस पर भक्ताम्बर पाठ
जसवंतनगर/इटावा
दिगंबर जैन समाज के सबसे बड़े संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज का 78वां अवतरण दिवस नगर के पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में धूमधाम से मनाया गया अभिषेक शांति धारा के साथ आचार्य श्री की पूजन सहित अनेकों कार्यक्रम इस अवसर पर आयोजित किए गए ।सांय काल भक्ताम्बर पाठ का आयोजन महिला मंडल के सानिध्य में मंदिर जी में संपन्न हुआ ,आचार्य श्री के जीवन से संबंधित प्रश्न पूछे गए जिसका सही जबाब देने पर उपहार प्रदान किये गए सामूहिक रूप से आरती की गई, एक खास बात यह रहीआज ही के दिन जगत पूज्य हस्तिनापुर प्रणेता गणनी प्रमुख ज्ञानमती माता जी का भी अवतरण दिवस भी है.
आपको संक्षेप में बढ़ते चले की विद्याधर आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सद्लगा ग्राम में हुआ था। उनके पिता मल्लप्पा व मां श्रीमती ने उनका नाम विद्याधर रखा था। कन्नड़ भाषा में हाईस्कूल तक अध्ययन करने के बाद विद्याधर ने 1967 में आचार्य देशभूषण महाराज से ब्रम्हचर्य व्रत ले लिया। इसके बाद जो कठिन साधना का दौर शुरू हुआ तो विद्याधर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके तपोबल की आभा में हर वस्तु उनके चरणों में समर्पित होती चली गई।
गुरुदेव समाधिस्थ्य हो गए आज वो नहीं है लेकिन पूरा देश उन्हें याद कर, व उनके द्वारा बताये मार्ग अहिंसा क्रांति की बात कर अपने आपको धन्य मान रहा है.
कठिन साधना का मार्ग पार करते हुए विद्याधर ने महज 22 वर्ष की उम्र में 30 जून 1968 को अजमेर में आचार्य ज्ञानसागर महाराज से मुनि दीक्षा ली। गुरुवर ने उन्हें विद्याधर से मुनि विद्यासागर बनाया। 22 नवंबर 1972 को अजमेर में ही गुरुवार ने आचार्य की उपाधि देकर उन्हें मुनि विद्यासागर से आचार्य विद्यासागर बना दिया। आचार्य पद की उपाधि मिलने के बाद आचार्य विद्यासागर ने देश भर में पदयात्रा की। हमेशा सूती वस्त्र हतकरगा उधोग को बढ़ावा दिया, सैकड़ो गोशालाएं खुलवाई,ओर गुरुदेव आज से नही अपितु कई वर्षों से कहते है इंडिया नही भारत बोलो।।