संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270
मनोज कुमार जसवंतनगर
जसवंतनगर:-रामलीला महोत्सव में चल रही रामकथा में आज कथावाचिका पूज्या कृष्णा दीदी द्वारा भगवान राम के विवाह वर्णन सुनाया गया। बताया गया भगवान श्री राम का विवाह माता सीता के साथ हुआ था, जो अयोध्या और मिथिला के दो महान राजवंशों के बीच एक ऐतिहासिक और पवित्र घटना है। यह विवाह रामायण के बालकांड में वर्णित है।
जब राजा जनक ने सीता के स्वयंवर का आयोजन किया, उन्होंने शर्त रखी कि जो भी शिवजी के धनुष को उठा कर उसकी प्रत्यंचा चढ़ाएगा, वही सीता से विवाह करेगा। कई राजाओं ने प्रयास किया, लेकिन असफल रहे।
सहस भूप नर एकहि बारालगे उठान टरहि नहीं टारा.
तब जनक जी ने उदास होकर कहा,
वीर विहीन महि हम जानी.ज़ब लक्ष्मण ने जनक जी के ऐसे शब्द सुने तो क्रोधित होकर बोले अगर राम आज्ञा दें तो धनुष की तो बात ही छोड़ो हम इस धरा को ही जिस पर ये धनुष रखा गया है. गेंद की तरह उछाल सकता हूँ. श्रीराम ने लक्ष्मण जी को शांत किया.
तब भगवान राम ने गुरु विश्वामित्र के निर्देश पर धनुष को आसानी से उठाकर उसकी प्रत्यंचा चढ़ानी चाही तो वह स्वतः ही टूट गया.इसकी घोर गर्जना सुनकर परशुराम जी भी सभा में आ गये.
कहा. शिवजी के धनुष को जिसने भी तोड़ने का गुनाह किया है वह
सो बिलगाय विहाय समाजा
नत मारे जैहै सब राजा.
राम जी ने कहा
नाथ शम्भु धनु भंजनि हारा
हुइये कोउ एक दास तुम्हारा
अंत में परशुराम को ज़ब ये विश्वास हो गया कि श्री राम ही साक्षात नारायण का अवतार है
तब अपना क्रोध शांत कर वापस चले जाते है.
जिससे सीता का विवाह राम के साथ हो गया।
इसके बाद राम, उनके भाई लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न का भी विवाह जनक की पुत्रियों और उनकी रिश्तेदारों से हुआ। भगवान राम और माता सीता का विवाह, भारतीय संस्कृति में आदर्श दांपत्य जीवन का प्रतीक माना जाता हैआज रामलीला समिति ने चेयरमेन सत्यनारायण शंखवार पुद्द्ल को प्रतीक चिन्ह देकर व सभासदों का पटका पहनाकर सम्मानित किया गया.
इस कथा को विधिवत सम्पन्न कराने में बबलू गुप्ता, अजेंद्र गौर,विवेक पाण्डेय उर्फ़ रतन,तरुण मिश्रा, गोपाल गुप्ता एवं समिति के अन्य लोगों का विशेष सहयोग है.