संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270
मनोज कुमार जसवंतनगर
इटावा के जसवंतनगर में भट्ठा मजदूरों के बच्चों की स्थिति गंभीर हो गई है। ये बच्चे न केवल शिक्षा से वंचित हैं, बल्कि उनकी जिंदगी में कोई खास दिशा या भविष्य नहीं दिख रहा। इन बच्चों का जीवन कूड़ा बीनने, प्लास्टिक और कांच की बोतलें इकट्ठा करने में बीत रहा है, और वे कभी स्कूल का मुंह नहीं देख पाते हैं।
भट्ठा मजदूरों की कठिन जीवनशैली
भट्ठा मजदूरों के बच्चे ज्यादातर अपने माता-पिता के साथ भट्टों पर काम करने के लिए गांव से गांव घूमते रहते हैं। एक वर्ष किसी भट्टे पर काम करते हैं, और अगले वर्ष फिर से दूसरे भट्टे पर चले जाते हैं। इस तरह इन बच्चों का स्कूल जाने का सपना कभी पूरा नहीं हो पाता। इसके कारण उनका बचपन बर्बाद हो जाता है और वे बिना शिक्षा के जीवन जीने पर मजबूर होते हैं।
शिक्षा और बाल विकास योजनाओं की कमी
सरकारी योजनाएं, जैसे कि सर्व शिक्षा अभियान और बाल विकास विभाग की योजनाएं, इन बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। शिक्षा विभाग और बाल विकास विभाग द्वारा इन बच्चों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं, जिससे उनका भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।
सरकार से मांग
इन बच्चों के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए। उन्हें शिक्षा के अवसर प्रदान किए जाएं ताकि उनका भविष्य सुधारा जा सके। साथ ही, भट्ठा मजदूरों के बच्चों के लिए विशेष शिक्षा योजनाएं बनाई जाएं, ताकि वे भी सामान्य बच्चों की तरह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ सकें।