संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270
ये जो घटना कल हुई है, यह करवाचौथ वाले दिन होने वाली थी। 8-10 साल से घरेलू उलझन दिमाग में चल रही थी। हम सहन नहीं कर पा रहे थे। 2 साल से टेंशन कुछ ज्यादा ही लग गई। वो झेलना मुश्किल था। मैडम बोलीं- ऐसा क्यों टेंशन ले रहे हो।
मैंने बोला- ऐसा मन हो रहा है कि हम खत्म हो जाएं। मैडम बोलीं- हमें भी साथ ले चलना। तुम्हारे बाद हम लोगों को कोई देखने वाला नहीं है। मायके में भी कोई इतना सक्षम नहीं है। न ही बच्चे ऐसे हैं कि नौकरी करके खर्चा देख सकें। खर्चे सबके हैं, इसलिए जाना तो साथ में ही जाना।
पत्नी बोली- कुछ ऐसा देना कि तड़पन न लगे, इसलिए नींद की गोली दी
करवाचौथ वाले दिन हम खत्म होने जा रहे थे। मैडम बोलीं- ऐसा काम मत करो, जो करना, साथ में करना। अभी दिमाग मत लगाओ। करवाचौथ हो जाने दो, उसके बाद देखेंगे। फिर हम बाहर चले गए, शायद कानपुर। इसके बाद घर लौट कर आया। कल ये पूरी व्यवस्था बनाई।
मैडम बोलीं- कुछ ऐसा दे दो कि कोई तड़पन न लगे, इसलिए नींद की गोली दी गई। वो इसलिए कि जब हमारी पहली पत्नी खत्म हुई थी...2003 में तब भी उसने सबके सामने नींद की गोली मांगी थी। वो इसलिए कि जब आदमी खत्म हो, तो वो तड़पे न। सबसे पहले मैडम खत्म हुई, उसके बाद बच्चे। मैं तो बच गया।
हमें लिटा दो, फिर चाहे, जो करना
पहले मैडम लटकी, फंदा वो नहीं लगा पा रही थी। मैं भी नहीं लगा पा रहा था। वो नीचे गिर जा रही थी। बोलीं- ऐसा है कि हमें दवा दे दो...घबराहट वाली। फिर तुम्हें जो करना है, करना। हमें लिटा दो अभी। जब सब लोग खत्म हुए तो मैं सोचा- जब फंदा नहीं लगा पा रहे, तो क्यों न ट्रेन से कट कर जान दे दें।
पहले पत्नी ने टेबल पर खड़ी होकर फंदा लगाने की कोशिश की, लेकिन लगा नहीं पाई। गोली के नशे की वजह से गिर जा रही थीं। बोलीं- हमें लिटा दो, फिर चाहे जो करना है करना। पहले पत्नी फिर बच्चे को मारा। हम बच्चों को पहले नहीं बताए थे।
बेटा अकेले छोड़कर जा नहीं सकते, तुम्हें साथ ले जा रहें
मैडम ने मना कर रखा था। हम बच्चों का गला दबा रहे थे, तो वो बोले- पापा ये क्या कर रहे हो। हमने कहा- बेटा अकेले छोड़कर जा नहीं सकते। तुम्हें भी साथ लेकर जा रहे हैं। फिर हमने सोचा ट्रेन के आगे जाकर कट जाएंगे। उसके बाद ट्रेन से आगे लेट गए। लेकिन हम बच गए। हमें इन सबकी हत्या करने का कोई पछतावा नहीं है। सात डिब्बे मेरे ऊपर से गुजर गए। तब भी मैं बच गया, किस्मत की ही बात है। मुझे हत्या करने का कोई पछतावा नहीं है।
अब पढ़िए पूरा मामला...
सर्राफा कारोबारी का नाम मुकेश वर्मा है। मरने वालों में उसकी पत्नी रेखा वर्मा (45), बेटी भव्या (18), बेटी काव्या (16) और बेटा अभिष्ट (14) हैं। मुकेश दिल्ली से सोने की खरीदारी करता है। वह महीने में 8 से 10 दिन घर से बाहर रहता है। ज्वेलरी का सामान थोक व्यापारियों को देता है।
बड़ी बेटी भव्या दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीकॉम कर रही थी। वहीं, काव्या सोनी 12वीं क्लास की स्टूडेंट थी। मुकेश की दो शादी हुई थी। पहली पत्नी की शादी के दो साल बाद 2005 में मौत हो गई। भव्या पहली पत्नी की बेटी थी। बाकी दोनों बच्चे दूसरी पत्नी रेखा के हैं।
मुकेश ने सोमवार की शाम करीब साढ़े 8 बजे खुद डायल 112 पर सूचना दी। पुलिस को बताया कि पत्नी और बच्चों ने सुसाइड कर लिया है। बेटी के मोबाइल फोन के वॉट्सऐप स्टेटस पर मृतकों की फोटो लगाकर कैप्शन लिखा- ये सब लोग खत्म। इसके बाद मोबाइल बंद कर लिया।
बाइट आरोपी मुकेश वर्मापत्नी, 2 बच्चों की बेड पर, छोटी बेटी की लाश सेकेंड फ्लोर पर मिली
स्टेटस देखते ही पड़ोसी कारोबारी के घर पहुंच गए। उन्होंने देखा तो घर का दरवाजा बंद था। दरवाजा खटखटाया, तो कोई रिस्पॉन्स नहीं आया। इसके बाद कारोबारी के बड़े भाई एडवोकेट रत्नेश को सूचना दी। थोड़ी देर बाद वह घर पहुंचे। इसके बाद घर का ताला तोड़ा गया।
घर के अंदर नीचे वाले कमरे में बेड पर मुकेश की पत्नी रेखा वर्मा, बड़ी बेटी भव्या वर्मा और छोटे बेटे अभीष्ट के शव पड़े हुए थे। छोटी बेटी का शव सेकेंड फ्लोर पर कमरे में पड़ा था। थोड़ी देर बाद कोतवाली पुलिस भी पहुंच गई। फोरेंसिक टीम को बुलाया और जांच-पड़ताल की।