संवाददाता: रंजन कुमार
शेखपुरा विधायक विजय सम्राट होगे संजय महिला कॉलेज के सचिव,बधाईयों का लगा ताता
न्यायालय ने साखी निकाय को बहाल करने का दिया निर्देश।
शेखपुरा जिला नगर परिषद क्षेत्र के स्टेशन रोड स्थित एक एकमात्र महिला शिक्षण संस्थान मुंगेर विश्वविद्यालय अंतर्गत संजय गांधी स्मारक महिला महाविद्यालय के शासी निकाय को भंग करने के निर्णय को पटना उच्च न्यायालय ने नियमों के विरुद्ध बताते हुए निरस्त कर दिया है ।फिर से बहाल किए जाने का निर्णय दिया है.न्यायालय ने विश्वविद्यालय के नियमों के विरुद्ध बताया है.पटना उच्च न्यायालय के निर्णय की खबर यहां पहुंचते ही महाविद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी ने न्यायालय के निर्णय पर खुशी व्यक्त किया है ।साथ ही स्थानीय विधायक विजय कुमार को भी बधाई दिया है।
शेखपुरा: राजद विधायक विजय सम्राटपटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और पार्थसारथी की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है हालांकि इस निर्णय में कुलपति को नियमानुसार शिकायत को सिंडिकेट के समक्ष प्रस्तुत करने और सिंडिकेट को विधि सम्मत कार्य करते हुए शासी निकाय को भंग आदि करने से रोक नहीं लगाया है। मुंगेर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति द्वारा नियमों को ताक पर रखकर महाविद्यालय के शासी निकाय को भंग कर तदर्थ कमेटी बनाई जाने के निर्णय को महाविद्यालय के शासी निकाय के सचिव स्थानीय विधायक विजय कुमार ने पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। विधायक की अधिवक्ता अक्षांश अंकित ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय ने कुलपति के आदेश को विश्वविद्यालय के नियमों के विरुद्ध बताते हुए शासी निकाय के विघटन वाले निर्णय को निरस्त कर दिया है ।खंडपीठ ने अपने निर्णय में विस्तार से बताया कि कुलपति को इस प्रकार के कार्य के लिए विश्वविद्यालय के सिंडिकेट के समक्ष अनुसंशा प्रस्तुत करनी चाहिए थी, सिंडिकेट द्वारा ही शासी निकाय को भंग किया जा सकता है। वह भी महाविद्यालय के द्वारा सिंडिकेट के आदेश का पालन नहीं करने, विश्वविद्यालय के नियमों का पालन नहीं करने सरकार द्वारा ग्रांट का महाविद्यालय द्वारा सही तरीके से उपयोग नहीं करने या महाविद्यालय द्वारा घोर अनियमित के आरोप पर सिंडिकेट द्वारा शासी निकाय को विघटित किया जा सकता है ।इसके अलावा विघटन के आदेश पारित करने के पूर्व शासी निकाय का पक्ष भी सुनना अनिवार्य है ।उन्होंने बताया कि खंडपीठ के समक्ष बहस के दौरान मुंगेर विश्वविद्यालय और कुलाधिपति के अधिवक्ताओं ने भी अपना अपना पक्ष रखा न्यायालय द्वारा शासी निकाय के गठन और उसके कार्य पद्धति के बारे में विश्वविद्यालय के नियमों पर गहन बहस और विचार के बाद यह निर्णय पारित किया गया है। खंडपीठ ने अपने निर्णय में कुलपति द्वारा बनाए गए तदर्थ कमेटी के गठन को भी निरस्त कर दिया है। क्योंकि तदर्थ कमेटी का गठन का आधार शासी निकाय के विघटन से जुड़ा हुआ है। इस संबंध में जानकारी देते हुए शेखपुरा विधायक विजय सम्राट ने कहा कि यह न्यायालय का निर्णय है जो सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि शिक्षक शिक्षेक्तर का सम्मान और उन्हें उचित मानदेय भुगतान करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।