संवाददाता: रंजन कुमार
डीएम ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस कार्यक्रम का किया शुभारंभ
शेखपुरा जिला के समाहरणालय स्थित मंथन सभागार में डीएम आरिफ अहसन, की अध्यक्षता में राष्ट्रीय प्रेस दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक बलिराम कुमार चौधरी, एवं सियाराम सिंह,अपर समाहत्र्ता धर्मराज,वरीय उपसमाहर्ता के साथ-साथ जिला के सभी पत्रकार बंधु उपस्थित रहे।कार्यक्रम की विधिवत शुभारंभ सभी के द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया । इस अवसर पर जिला जन-संपर्क पदाधिकारी द्वारा इस अवसर पर सभी वरीय पदाधिकारियों को अंगवस्त्र एवं मोमेन्टो देकर स्वागत किया गया। साथ ही सभी प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बन्धुओं को भी इस अवसर पर अंग वस्त्र एवं मोमेन्टो देकर स्वागत किया गया।
कार्यक्रम की शुरूआत करते हुये सौरभ कुमार भारती,वरीय उपसमाहत्र्ता-सह-जिला जन-सम्पर्क शाखा, शेखपुरा द्वारा बताया गया कि वर्ष 1966 में आज के दिन प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की स्थापना हुई थी ,जिसके उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष आज का दिन राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर विभाग द्वारा विषय के रूप में ‘‘ चेंजिंग नेचर आॅफ प्रेस’’ निर्धारित की गई थी ,जिसपर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के महासचिव-सह-ब्यूरो चीफ-सहारा दैनिक नवीन कुमार द्वारा प्रेस के बदलते स्वरुप पर अपने विचार प्रकट किये गये। इसके साथ ही उक्त यूनियन के अध्यक्ष अजीत कुमार सिंहा ने भी मीडिया के बदलते स्वरुप और प्रशासन के समन्वय पर अपने विचार प्रकट किये। वही दैनिक हिन्दुस्तान ब्यूरो चीफ संजय कुमार मेहता ने कहा कि मीडिया का बदलता स्वरुप का सबसे अच्छा उदाहरण है! कि बदलते परिदृश्य में हम आज बिना कागज के ही अपने विचारों का प्रकटीकरण में कर रहे है ,जिसका मुख्य कारण डिजिटल तकनीक का विकास है। दैनिक जागरण के ब्यूरो चीफ अरुण साथी ने अपने विचार प्रकट करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टेक्नोलाॅजी के इस्तेमाल एवं डीप फेक विडियो से पत्रकारों, प्रशासन एवं आमलोगों का सावधान रहने पर बल दिया गया। अपर समाहत्र्ता, द्वारा अपने संबोधन में बदलते स्वरुप में मीडिया पर चर्चा करते हुए कहा कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बताया।
उन्होने मीडिया बंधुओं से किसी भी समाचार के प्रसारण के पूर्व संबंधित पदाधिकारी से भी उनकी राय लेनी चाहिए, ताकि गलत खबरों के प्रचार प्रसार से बचा जा सके। उन्होने कहा कि न्याय देने के क्रम में एक पक्ष को हमेशा लगता है कि मेरेे साथ गलत हुआ है ऐसे में पत्रकार होने के नाते वास्तविकता जानना जरुरी होता है। इससे लोगों की विश्वनीयता मीडिया पर बनी रहती है। पुलिस अधीक्षक द्वारा राष्ट्रीय प्रेस दिवस की बधाई देते हुए ,इस अवसर पर मीडिया के बदलते स्वरुप के संबध्ंा में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा गया कि हमलोग टेलीग्राम से आज व्हाट्स अप/फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पहुँच चुके हैं। पहले टेलीग्राम के माध्यम से सामाचार पहुँचने में समय लगता था अब सोशल मीडिया के माध्यम से कोई भी सूचना तुरंत प्रसारित हो जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि जो सूचना प्रसारित होती उसमें सत्यता नही होती जो हमे आगे चलकर पता चलता है तबतक काफी देर हो जाती है लोग समाचार पत्रों अथवा सोशल मीडिया में आयी खबरों को सही मान लेते हैं ऐसे में अनुसंधान करने वाले पदाधिकारी भी दवाब में आ जाते हैं। उन्होने कहा कि मीडिया ट्राॅयल की परम्परा बंद होनी चाहिए। बल्कि क्या जाँच की जा रही है उसपर जोर देना चाहिए। मीडिया का रोल ऐसे अवसरों पर बहुत महत्वपूर्ण है । उन्होने कहा कि अनुसंधान में पुलिस एवं मीडिया का रोल लगभग एक जैसा है! और यह जरुरी है कि जिसप्रकार हमलोग अनुसंधान कर सच लाने का प्रयास करते हैं वही रोल आप भी करते हैं। जिला पदाधिकारी ने अपने संबोधन में कहा कि आजादी से पूर्व से ही प्रेस की महत्ता रही है। प्रायः जितने भी स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं किसी न किसी प्रेस से जुड़े रहे हैं और आमलोगों के बीच किसी भी घटना की सत्यता अखवारों के माध्यम से अवगत कराते आये हैं।
आज यही किया जा रहा है। इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के आने से लोगों के सफलता एवं असफलता टी॰आर॰पी॰ से आँका जाने लगा। मीडिया में क्षमता है! कि वो पाॅलिटिकल रिसोर्स एवं इकोनोमिकल रिसोर्स में बदलाव ला सकता है। इसलिए किसी भी समाचार को विना जाँचे परखे चलाने से उनकी विश्वसनीयता कम होती है। उन्होने कहा कि लोग अपनी-अपनी जरुरत के हिसाब से उपयोग करते हैं अब लोग अपने हिसाब से खवरो की जाँच परख भी कर लेते हैं। जिला पदाधिकारी ने सभी पत्रकार बंधुओं से प्रशासन में सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि आपका सहयोग हमें मिलता है! और आपलोगों से इसी तरह सहयोग मिलता रहे इसकी अपेक्षा है।उन्होने सभी प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्राॅनिक मीडिया बंधओं को राष्ट्रीय प्रेस दिवस की शुभकामना भी दी।