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आंध्र प्रदेश: मोबाइल और इंटरनेट से नहीं इस गांव की कनेक्टिविटी है सनातन की विरासत और प्रकृति से।

 


मोबाइल और इंटरनेट से नहीं इस गांव की कनेक्टिविटी है सनातन की विरासत और प्रकृति से

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में स्थित कुर्माग्राम, एक ऐसा वैदिक ग्राम है, जहाँ लोग पूरी तरह से प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीते हैं। 60 एकड़ भूमि में फैला यह गांव 2018 में स्थापित हुआ था, और इसका उद्देश्य दुनिया को वैदिक संस्कृति, आध्यात्मिकता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता की दिशा में एक आदर्श प्रस्तुत करना है।

कुर्माग्राम में करीब 80 लोग रहते हैं, जिनमें कुछ विदेशी भी शामिल हैं। यहाँ के लोग पूरी तरह से सस्टेनेबल जीवनशैली का पालन करते हैं। यहां कोई भी आधुनिक उपकरणों का उपयोग नहीं किया जाता। न बिजली, न इंटरनेट, न गैस, न इलेक्ट्रॉनिक उपकरण। लोग पुरानी विधियों से घरों का निर्माण करते हैं, जिसमें मिट्टी, पत्थर और लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। यहां के घरों में गोबर से लिपाई की जाती है और रात्रि में उजाले के लिए तेल के दीपक जलाए जाते हैं।

इस गांव में केवल प्राकृतिक खेती की जाती है, जहाँ लोग अपने खाने की जरूरत को स्वयं पूरा करते हैं। चूल्हे पर खाना पकाने के लिए गोबर के उपले और लकड़ी का उपयोग किया जाता है। यहां के लोग अपने कपड़े भी खुद ही बुनते हैं, जिससे पूरी तरह से स्वदेशी और आत्मनिर्भर जीवनशैली का पालन किया जाता है।

कुर्माग्राम के बच्चों को सनातन पद्धति के अनुसार यानि गुरुकुल में शिक्षा दी जाती है, जहाँ वे शास्त्र, गणित, विज्ञान, संस्कृत, तेलुगु, हिंदी और अन्य कलाओं का अध्ययन करते हैं। इसके साथ ही महाभारत और रामायण जैसी वैदिक कथाओं की शिक्षा भी दी जाती है, ताकि युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति से जुड़ी रहे। यहां न केवल शैक्षिक, बल्कि खेलकूद भी अहम भूमिका निभाती है, जैसे तैराकी और कबड्डी।

कुर्माग्राम की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यहां के लोग न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि समाज में भी शांति, प्रेम और सद्भावना को बढ़ावा देने का कार्य करते हैं। यहां नियमित रूप से वैदिक ग्रंथों जैसे भगवद गीता, श्रीमद्भागवतम और महाभारत का वितरण और उपदेश किया जाता है, जो लोगों को बुरी आदतों से दूर रखने और एक स्वस्थ मानसिकता विकसित करने में मदद करता है।


यह गांव आधुनिक समय के विभिन्न समस्याओं जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, सामाजिक समस्याओं और मानसिक रोगों से निपटने का एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत करता है। यहां के लोग न केवल अपनी आस्था और संस्कृति की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि एक ऐसे समाज की ओर बढ़ रहे हैं जो प्रकृति और संतुलन के साथ आगे बढ़े।

कुर्माग्राम न केवल एक गांव, बल्कि एक मिशन है, एक ऐसी दुनिया की कल्पना, जहाँ आत्मनिर्भरता और प्राकृतिक जीवनशैली ही आदर्श हो।

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