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कोलकाता: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर की दोषी को उम्रकैद।

 

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर की दोषी को उम्रकैद 

कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के दोषी संजय रॉय को सियालदह कोर्ट ने 164 दिन बाद सोमवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा, 'यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला नहीं है। इसलिए मौत की सजा नहीं दी सकती।'

लोकल कोर्ट ने राज्य को पीड़ित परिवार को 17 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया, लेकिन परिवार ने इसे लेने से इनकार कर दिया। दोपहर 12:30 बजे कोर्ट ने दोषी संजय, CBI और पीड़ित परिवार के वकील की बातें सुनीं। जज अनिर्बान दास ने संजय से कहा कि यह बताया जा चुका है कि तुम किन अपराधों के दोषी हो। अदालत ने संजय को बोलने का मौका दिया था।


इससे पहले, 18 जनवरी को कोर्ट ने संजय को दोषी करार दिया था, लेकिन सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। संजय की सजा के लिए 160 पेज का फैसला लिखा गया है। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में 8-9 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। संजय रॉय को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया गया।

सजा पर 3 पक्षों की दलील

पहला- दोषी संजय रॉय

1. मैंने कोई जुर्म नहीं किया, मुझे फंसाया गया। मैंने कुछ भी नहीं किया और इसके बावजूद मुझे दोषी करार दे दिया गया।

2. मुझे जेल में पीटा गया और दस्तावेजों पर दस्तखत करने के लिए मजबूर किया गया।

3. संजय के वकील ने कहा कि हमें इस बात के सबूत दिए जाने चाहिए कि दोषी में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। फांसी के अलावा कोई सजा दी जाए ताकि उसे सुधार का वक्त मिले।

दूसरा- CBI

हम फांसी की मांग करते हैं ताकि लोगों के बीच में समाज पर भरोसा बना रहे।

तीसरा- पीड़ित के पेरेंट्स

रेप-मर्डर पीड़ित के माता और पिता के वकील ने कहा कि दोषी को फांसी दी जाए। संजय सिविक वॉलंटियर था, अस्पताल की सुरक्षा में था, लेकिन उसने ही जघन्य अपराध किया। उसने उस पीड़ित के साथ अपराध किया, जिसकी उसे हिफाजत करनी थी।


पश्चिम बंगाल CM ममता बनर्जी ने कहा- हम फांसी की मांग करते हैं। संजय की मां-बहन ने कहा है वे सजा के खिलाफ अपील नहीं करेंगे, भले ही फांसी ही क्यों न दी जाए। मां ने कहा कि मैं उस लड़की के मां-बाप का दुख समझती हूं, मेरी भी बेटियां हैं।

संजय भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दोषी...

1. धारा 64 (बलात्कार) : कम से कम 10 साल की जेल की सजा और ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास का प्रावधान।

2. ⁠धारा 66 (पीड़ित की मृत्यु या उसे लगातार अचेत अवस्था में पहुंचाना): कम से कम 20 साल की सजा का प्रावधान, बढ़ाकर उम्रकैद किया जा सकता है।

3. ⁠धारा 103(1) (हत्या): फांसी की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान।

फैसले का आधार फोरेंसिक रिपोर्ट

अदालत ने घटनास्थल की फोरेंसिक रिपोर्ट को सजा का आधार बनाया, जिससे संजय रॉय के इस मामले में शामिल होने के सबूत मिले। घटनास्थल और पीड़ित डॉक्टर की बॉडी पर भी संजय का DNA मिला था।

फैसले के बाद दोषी संजय ने कहा था...

मुझे इस मामले में फंसाया गया है। मैंने यह काम नहीं किया। जिन्होंने ये काम किया है, उन्हें जाने दिया गया। एक IPS इसमें शामिल है। मैं रुद्राक्ष की माला पहनता हूं और अगर मैंने अपराध किया होता तो यह टूट जाती।

पिछले साल 8-9 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या हुई

आरजी कर हॉस्पिटल में 8-9 अगस्त की रात ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर हुआ था। 9 अगस्त की सुबह डॉक्टर की लाश सेमिनार हॉल में मिली थी। CCTV फुटेज के आधार पर पुलिस ने संजय रॉय नाम के सिविक वॉलंटियर को 10 अगस्त को अरेस्ट किया था। घटना को लेकर कोलकाता समेत देशभर में प्रदर्शन हुए। बंगाल में 2 महीने से भी ज्यादा समय तक स्वास्थ्य सेवाएं ठप रही थीं।

हाईकोर्ट के आदेश पर CBI ने जांच शुरू की थी

9 अगस्त की घटना के बाद आरजी कर अस्पताल के डॉक्टरों और पीड़ित परिवार ने मामले की CBI जांच की मांग की, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जांच के आदेश नहीं दिए। हाईकोर्ट के आदेश के बाद 13 अगस्त को जांच CBI को सौंपी गई। इसके बाद CBI ने नए सिरे जांच शुरू की।

3 को आरोपी बनाया गया, 2 को जमानत मिली

आरोपी संजय रॉय के अलावा मामले में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को भी आरोपी बनाया गया, लेकिन CBI 90 दिन के अंदर घोष के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं कर पाई, जिस कारण सियालदह कोर्ट ने 13 दिसंबर को घोष को इस मामले में जमानत दे दी। इसके अलावा ताला थाने के पूर्व प्रभारी अभिजीत मंडल को भी चार्जशीट दायर न करने के कारण जमानत दी गई।

इससे पहले CBI ने 25 अगस्त को सेंट्रल फोरेंसिक टीम की मदद से कोलकाता की प्रेसीडेंसी जेल में संजय का पॉलीग्राफ टेस्ट किया था। अधिकारियों ने करीब 3 घंटे उससे सवाल-जवाब किए। संजय के अलावा 9 लोगों का भी पॉलीग्राफ टेस्ट हुआ था। इनमें आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष, ASI अनूप दत्ता, 4 फेलो डॉक्टर, एक वॉलंटियर और 2 गार्ड्स शामिल थे।

संजय इयरफोन और DNA से पकड़ में आया

टास्क फोर्स ने जांच शुरू होने के 6 घंटे के भीतर दोषी संजय रॉय को अरेस्ट किया। CCTV के अलावा पुलिस को सेमिनार हॉल से एक टूटा हुआ ब्लूटूथ इयरफोन मिला था। ये दोषी के फोन से कनेक्ट हो गया था। संजय की जींस और जूतों पर पीड़िता का खून पाया गया था।

संजय का DNA मौके पर मिले सबूतों से मैच हुआ था। संजय के शरीर पर चोट के जो 5 निशान मिले थे, वे उसे 24 से 48 घंटे के दौरान लगे थे। यह ब्लंट फोर्स इंजरी हो सकती है, जो पीड़ित से अपने बचाव के दौरान हुई होगी। इसी के जरिए पुलिस संजय को पकड़ने में कामयाब रही।

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