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पत्रकार मुकेश चंद्राकर की चोटों का पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ खुलासा जानिए।

 संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270


पत्रकार मुकेश हत्याकांड: सिर में 15 फ्रैक्चर, हार्ट फटा और गर्दन व 5 पसलियां टूटी, पढ़िए रूह कपां देने वाली हत्या की हकीकत

पिटाई के दौरान आरोपियों ने पत्रकार के हर हिस्से पर किसी भारी हथियार से वार किया है। मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) हत्याकांड के मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) का चचेरा भाई है। सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) को SIT यानी स्पेशल इंवेस्टिगशन टीम ने 5 जनवरी की देर रात हैदराबाद से गिरफ्तार...

5 पसलियां टूट गई, सिर में 15 फ्रैक्चर, हार्ट फटा और गर्दन टूटी मिली है। डॉक्टरों ने कहा, उन्होंने 12 वर्ष के करियर में ऐसी हत्या नहीं देखी। सिविल सर्जन रामटेके के मुताबिक मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सिर पर चोट के 15 निशान मिले थे। लिवर के 4 टुकड़े मिले, गर्दन टूट गई और हार्ट फट गया था। छ्त्तीसगढ़ में बीजापुर जिले के पत्रकार मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) हत्याकांड की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बड़े खुलासे हुए हैं। मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) के लीवर के 4 टुकड़े मिले। पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या का मुख्य आरोपी को हैदराबाद से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही मुकेश चंद्रकार की पीएम रिपोर्ट आ गई है।

इस रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पीएम रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि मुकेश चंद्रकार की हत्या कितनी बेरहमी से किया गया है। पत्रकार की हालत देखकर डॉक्टर के भी होश उड़ गए थे। पीएम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि पत्रकार मुकेश चंद्रकार के लीवर के चार टुकड़े थे। यही नहीं, उस जगह पर बुलाकर आरोपियों ने पत्रकार मुकेश चंद्रकार की बेरहमी से पिटाई की गई थी। पीएम रिपोर्ट से पता चलता है कि कई लोगों ने क्रूरता के साथ मुकेश चंद्रकार की हत्या की है। पहले आरोपियों ने जमकर पत्रकार को तड़पाया है। फिर उसकी हत्या की है। पीएम रिपोर्ट में यह बात साफ है कि उसके पांच पसलियों को तोड़ दिया है। इसके साथ ही पत्रकार के सिर पर 15 चोट के निशान मिले हैं। पूरी तरह से सिर क्षतिग्रस्त था।


सिर की हड्डियां पूरी तरह से टूट चुकी थीं। इसके साथ ही आरोपियों ने पत्रकार मुकेश चंद्रकार की गर्दन की हड्डी भी तोड़ दी थी। आरोपियों ने पत्रकार के सीने पर भी प्रहार किया है। पीएम रिपोर्ट के अनुसार पत्रकार मुकेश चंद्रकार का हार्ट फटा हुआ था। डॉक्टरों के अनुसार हार्ट के चिथड़े उड़े हैं। पिटाई के दौरान आरोपियों ने पत्रकार के हर हिस्से पर किसी भारी हथियार से वार किया है। मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) हत्याकांड के मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) का चचेरा भाई है। सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) को SIT यानी स्पेशल इंवेस्टिगशन टीम ने 5 जनवरी की देर रात हैदराबाद से गिरफ्तार किया है। फिलहाल आरोपी सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) से पूछताछ की जा रही है।

सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) पेशे से ठेकेदार है और राजनीति से भी जुड़ा है। सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) पर आरोप है कि उसने बीजापुर में अपने बैडमिंटन कोर्ट परिसर में बुलाकर अपने भाई और सुपरवाइजर के हाथों मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) की हत्या कराई है। सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) ही पत्रकार मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) गंगालूर निवासी है। मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) भी गंगालूर के रहने वाले थे। दोनों एक ही परिवार के हैं। दोनों चचेरे भाई हैं लेकिन दोनों के बीच रंजिश थी। छोटे से गांव गंगालूर से निकल कर बीजापुर पहुंचा सुरेश चंद्रकर विभिन्न विभागों का कॉन्ट्रेक्टर बन गया। वह तब सुर्खियों में आया, जब उसने शादी की। बहुत खर्चीली होने की वजह से यह शादी चर्चा में रही। इस शादी के बाद सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) के नए दोस्त तो बने लेकिन दुश्मन भी बन गए। मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) के सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) से जुड़े कथित भ्रष्टाचार की खबर के बाद दोनों के बीच खाई बढ़ती गई।

पत्रकार मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) के भाई रुपेश चंद्रकर एक साथ 31 दिसंबर 2024 को दो पत्रकारों के साथ दंतेवाड़ा गए हुए थे। दंतेवाड़ा से लौटने के बाद पत्रकार मुकेश और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) का भाई रुपेश चंद्राकर बीजापुर के लिट्टीपारा पहुंचे। लिट्टीपारा में ही सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) की कंस्ट्रक्शन साइट है। यहां पहुंचने के बाद से ही मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) लापता हो गए थे। विदित हो कि बीजापुर में अफवाह का बाजार गर्म था कि मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) को या तो नक्सली उठा ले गए या एनआईए ने हिरासत में लिया।

जिसके बाद मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) के लापता होने की जानकारी पुलिस को दी गई। मुकेश के भाई युकेश चंद्रकर ने 2 जनवरी को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद बीजापुर पुलिस अधीक्षक यादव ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक युकलेंडन यार्क को जांच के निर्देश दिए। 3 जनवरी को पुलिस की टीम खोजबीन करते हुए ठेकेदार सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) की कंस्ट्रक्शन साइट चट्टानपारा पहुंची। पुलिस ने कंस्ट्रक्शन साइट पर बने बैडमिंटन कोर्ट के आसपास सर्चिंग की। इस दौरान यहां बने जीर्ण शीर्ण सैप्टिक टैंक को फिर बनाए जाने का शक गहराया। पुलिस टीम के साथ मौजूद पत्रकारों ने नए सैप्टिक टैंक को खोलने कहा।

पुलिस टीम ने जेसीबी की सहायता से सैप्टिक टैंक को खोला, जिसके बाद 3 जनवरी 2025 की शाम को मृतक मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) का शव सैप्टिक टैंक से बरामद किया गया था। पत्रकार मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) ने ठेकेदार सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) के करप्शन को उजागर किया था। ठेकेदार सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) को बस्तर में 120 करोड़ की सड़क बनाने का ठेका मिला था। पत्रकार मुकेश की हत्या की खबर के बाद ठेकेदार के खिलाफ जांच का आदेश दिया गया था। इसके बाद एक जनवरी से मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) का कुछ भी पता नहीं चल रहा था। ये भी सामने आया है कि मुकेश को आखिरी बार कॉल ठेकेदार सुरेश चंद्रकार के भाई रितेश ने मुकेश को कॉल किया था। इसके बाद एक जनवरी से ही मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) का फोन स्विच ऑफ आता रहा। दावा है कि टैंक में शव को डालकर उसके ऊपर प्लास्टर कर दिया गया था।

1500 से 150 करोड़ का मालिक, जल्लाद सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) की कुंडली

बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) की हत्या करवाने वाले सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) को लेकर बड़े खुलासे हुए हैं। आरोपी सुरेश साल 2008 में पुलिस विभाग में खानसामा का काम करता था, जहां उसकी तनख्वाह महज 1500 रुपए थी। इसके बाद साल 2012 से छोटी-मोटी ठेकेदारी शुरू की। साल 2016 में सबसे बड़ा ठेका 50 करोड़ का मिला। अधिकारियों के साथ साठगांठ से इसी सड़क का रिवाइज बजट बनाकर 120 करोड़ किया। बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाके में सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्टर बना। सुरेश 1500 रुपए में बावर्ची की नौकरी करता था। धीरे-धीरे कर संपर्क बनाए और ठेकेदार बन बैठा। इतना ही नहीं उसने अफसरों से ऐसी साठगांठ बैठाई कि चंद सालों में ही करोड़ों की सड़क बनाने का ठेका ले लिया। वह यहीं रुका, बल्कि उसने अपनी शादी में इतने रुपए उड़ाए की लोग उसकी शादी को शहर की सबसे महंगी शादी कहते हैं। विदाई के बाद दुल्हन को हेलीकॉप्टर से लाया गया था। जिस सड़क को लेकर मुकेश ने भ्रष्टाचार की खबर की थी, उसी सड़क ने सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) को करोड़ों का मालिक बनाया। सुरेश सलवा जुडूम आंदोलन के समय एसपीओ फोर्स में भर्ती हुआ।

मात्र 1500 रुपए तनख्वाह थी। 2010 में नौकरी छोड़ी। 2012 से छोटी मोटी ठेकदारी शुरू की। उसके बाद इसे बीजापुर के घोर नक्सल प्रभावित इलाके में निर्माण के काम मिलने लगे। 2016 में गंगालूर से नेलनार 32 किमी सड़क निर्माण का ठेका 50 करोड़ में मिला। 2019 में कांग्रेस के कार्यकाल में अधिकारियों की साठगांठ से ठेका 120 करोड़ में रिवाइज बजट बनाकर कीमत बढ़ा दी। सड़क का काम अब तक चल रहा है सड़क पूरी नहीं हुई और सुरेश को 90 प्रतिशत राशि का भुगतान हो चुका है। जो सड़क 17 किमी बनी थी, जिसमें इस साल बनी हुई करीब 6 किमी सड़क भी थी। वो इसी साल बारिश में बह गई। बवाल कटा तो खुद मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए। सामाजिक नेता ने आरटीआई लगाई, उसे जानकारी तो नहीं मिली। आरोप है कि उसे एट्रोसिटी के फर्जी मामले में जेल भेज दिया गया। सड़क पर आरटीआई लगाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अजय सिंह कहते हैं कि सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) के पास पहले साइकिल नहीं थी। अब 50 से ज्यादा गाड़ियों का काफिला है। एक एक गाड़ी की कीमत 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की है। सड़क का बजट रिवाइज करकर 50 करोड़ से 120 करोड़ कर दिया।

सड़क बनी ही नहीं राशि दे दी गई सड़क बारिश में बह गई। मैने आरटीआई लगाया तो जेल भेज दिया गया। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश महापात्रा कहते हैं कि, सड़क अगस्त में बह गई। मुख्यमंत्री ने जांच के मौखिक आदेश दिए, लेकिन अधिकारियों ने फाइल आगे नहीं बढ़ाई। पत्रकार मुकेश ने 29 दिसंबर को खबर की और ठेकेदार ने 1 जनवरी को उसकी हत्या कर दी। बस्तर के पत्रकार मुकेश की हत्या को प्रशासन के भ्रष्ट तंत्र की बलि मानते हैं। पत्रकारों का कहना है कि इस पूरी सड़क का निर्माण कार्य पुलिस ही करवा रही थी। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में केंद्र से मिलने वाले केंद्रीय सहायता मद खर्च करने और इस इलाके में निर्माण का पूरा अधिकार पुलिस के पास है। पुलिस तो मुकेश की गुमशुदगी के बाद उसे ढूंढने में भी लापरवाही कर रही थी, पत्रकारों ने दबाव बनवाकर स्ट्रक्चर तुड़वाया।

मुकेश की लाश को ढूंढ पाना भी मुश्किल होता, जिस तरह से पुलिस कोताही बरत रही थी। पत्रकारों ने दबाव बनाकर स्ट्रक्चर तोड़ा। पुलिस के साथ ही सुरेश काम कर रह था। उसके प्रति पुलिस की एक सिंपैथी है। मुकेश की अंत्येष्टि में शामिल हुए सारे पत्रकारों का कहना था कि बीजापुर एसपी और थानेदार को हटाना चाहिए था। सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) पिछले 7 –8 सालों में सैकड़ों करोड़ों का मालिक बना वो भी सिर्फ नक्सली इलाकों में ठेकेदारी का काम करके। पुलिस विभाग के बीजापुर में करवाए जा रहे 90 प्रतिशत निर्माण सुरेश ही करता है। उसने खुद की शादी में 20 करोड़ से ज्यादा खर्च किए। दुल्हन हेलीकॉप्टर से लाया था। उसकी शादी में बॉलीवुड स्टार धर्मेश और यूक्रेन रशिया की कई नृत्यांगनाओं ने मनोरंजन किया था।

मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) के फर्म पर जीएसटी का छापा

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा जीएसटी का अपवंचन करने वाले वाणिज्यिक फर्मों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जा रही है। इसी सिलसिले में राज्य वाणिज्यिक कर विभाग ने बीजापुर जिले में स्थित सड़क निर्माण करने वाली फर्म मेसर्स सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) के परिसरों पर विगत 27 दिसंबर को निरीक्षण किया। बता दें उक्त फर्म का मालिक सुरेश चंद्राकर(Suresh Chandrakar) पत्रकार मुकेश चंद्राकर(Mukesh Chandrakar) के हत्या का मुख्य आरोपी है। प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि फर्म ने विगत वित्तीय वर्षों में 2 करोड़ से अधिक की अपात्र इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया है। वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा इस मामले में विस्तृत जांच की जा रही है।

वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि राज्य वाणिज्यिक कर विभाग की जांच में पाया गया है कि फर्म द्वारा विगत वर्षों में पात्रता से अधिक आईटीसी दावों की पहचान की गई है। वाहनों और कपड़ों जैसे अपात्र वस्तुओं पर आईटीसी का दावा किया गया जो जीएसटी प्रावधानों के खिलाफ है। व्यावसायिक स्थल पर आवश्यक रिकॉर्ड और चालान अधूरे पाए गए हैं। सीमेंट और सरिया के क्रय दिखाकर बड़ी राशि का इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया गया है, उस अनुपात में बिटूमीन क्रय नहीं दिखाया है। विक्रेता ने इन विसंगतियों को स्वीकार करते हुए 30 दिसंबर 2024 को 30 लाख रूपये टैक्स का प्रारंभिक भुगतान किया है। अन्य भुगतान दस्तावेजों के सत्यापन के बाद भी लंबित हैं। विभाग द्वारा जीएसटी रिटर्न और बैंक विवरणों के मिलान सहित रिकॉर्ड की विस्तृत जांच की जा रही है, जिससे अंतिम देयता निर्धारित की जा सके।

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