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इटावा/जसवंतनगर: श्रमिकों के अधिकारों का हो रहा हनन।

 संवाददाता: एम.एस वर्मा, इटावा ब्यूरो चीफ, सोशल मीडिया प्रभारी, 6397329270

  मनोज कुमार जसवंतनगर


यहां बंदी के दिन भी खुलता है बाजार नहीं मिलते हैं श्रमिकों को अतिरिक्त रुपये, अधिकारियों की लापरवाही पर पड़ रही श्रमिकों पर भारी।

जसवंतनगर:श्रम नियमों के तहत सप्ताह में एक दिन बाजार बंदी के लिए तय रहता है। साप्ताहिक बंदी के लिए जिला प्रशासन की ओर से आदेश भी जारी किया गया। नगर में साप्ताहिक बंदी का दिन रविवार तय है। बावजूद नगर में रविवार को अधिकतर बाजार खुला रहता है। इससे दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों का शोषण और श्रम नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है। 

रविवार को नगर का सदर बाजार पूरी तरह गुलजार रहा। यहां एक-दो दुकानों के ही शटर गिरे मिले। देखने में लग ही नहीं रहा था कि बंदी का दिन है। कई दुकानदारों ने तो पूरा सामान बाहर भी लगाया था। उन्हें विभाग के अफसरों का भी डर था। कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि संडे को उन्हीं दुकानदारों के प्रतिष्ठान खुले रहते हैं जिनका विभाग से तालमेल होता है। महकमे के अफसर छापामार कार्रवाई भी करते हैं तो पहले उन दुकानदारों को भनक लग जाती है, जो दुकानदार बंदी के दिन साफ-सफाई के उद्देश्य से दुकान खोलते हैं उनका चालान कर अफसर कागजी कोरम पूरा कर लेते हैं।
कहने को तो नगर में बाजार बंदी के लिए रविवार का दिन निर्धारित किया गया है, पर यहां संडे हो या मंडे, रोजाना ही एक जैसा बाजार खुलता है। आप बाजार बंदी वाले दिन भी कुछ भी खरीद सकते हैं। बंदी दिवस का पालन न होने से श्रमिकों को साप्ताहिक अवकाश नहीं मिलता है। इस दिन काम करने के बदले उन्हें अतिरिक्त रुपये भी नहीं दिए जाते है। नगर के बड़ा चौक, पालिका बाजार, गुड़ व सब्जी मंडी, छोटा चौक, नदी पुल व रामलीला सड़क बाजार में इक्का दुक्का दुकानों को छोड़कर सभी दुकानें खुली रहती हैं। दुकानदारों का कहना है कि एक दूसरे को दुकान खोले देखने पर ही वे भी अपनी दुकान खोलकर बैठ जाते हैं कि ग्राहक तो आएंगे ही।

दुकानदारों में प्रतिद्वंद्विता की भावना

बाजार बंदी दिवस का पालन करने वाले दुकानदार मजबूरीवश दुकान खोलते हैं, क्योंकि बाजार बंदी के दिन उनकी दुकान बंद रहती है तो ग्राहक अगल-बगल की दुकान पर चले जाने की आशंका रहती है। इससे उन्हें भी मजबूरीवश दुकान खोलनी पड़ती है।


जिम्मेदारों ने दी छूट

बाजार बंदी का पालन कराने वाले विभाग के कुछ लोग दुकानदारों की सांड़गाँठ के चलते काफी समय से बाजार में नहीं निकलते इसी का फायदा दुकानदारों द्वारा उठाया जाता हैं। विभाग लगातार सक्रिय रहता तो बंदी के दिन कोई दुकानदार दुकान नहीं खोलता।

श्रमिकों के अधिकारों का हो रहा हनन।


बाजार खुलने से सबसे अधिक उत्पीड़न उन श्रमिकों का होता है। जो दुकानों पर कार्य करते हैं उन्हें जबरन दुकानों पर कार्य कराने के लिए बुलाया जाता है। साप्ताहिक छुट्टी की मांग करने पर उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है। श्रमिकों को घर के कार्य करने तक का समय नहीं मिलता।

श्रम प्रवर्तन अधिकारी का कहना है। काम ज्यादा रहने पर बाजार में नही आये। लेकिन जिला प्रशासन की ओर से जारी निर्देश के अनुसार दुकानदारों को साप्ताहिक बंदी का पालन करना चाहिए। अगर कोई दुकानदार नियमों का उल्लंघन करता है पकड़े जाने पर उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

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