चिरमिरी के एनसीपीएच आर-6 माइंस में हुए हादसे में एसडीएल ऑपरेटर की मौत, मामले में माइंस प्रबंधन की लापरवाही उजागर
चिरमिरी। कोयलांचल नगरी चिरमिरी के हल्दीबाड़ी स्थित एनसीपीएच कॉलरी के आर-6 भूमिगत खदान में बीते 21 फरवरी को फस्ट शिफ्ट के दौरान एक दर्दनाक हादसा हो गया, जिसमें एसईसीएल के श्रमिक व एसडीएल ऑपरेटर रामचंद्र (56) वर्ष) कार्य के दौरान लोहे की रॉड लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया । जिसे इलाज के लिए चिरमिरी के गोदरीपारा स्थित रीजनल हॉस्पिटल में लाया गया । जहां उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे अपोलो अस्पताल बिलासपुर में रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उसने अपना दम तोड़ दिया ।
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ज्ञात हो कि हल्दीबाड़ी के मोहन कॉलोनी निवासी रामचंद्र कई वर्षों से एमडीएल ऑपरेटर के रूप में एसईसीएल को सेवा दे रहे थे और चार माह बाद सेवानिवृत्त होने वाले थे। बीते 21 फरवरी को पहली शिफ्ट में अन्य ठेका व सरकारी श्रमिकों के साथ उन्होंने अपनी ड्यूटी जॉइन की. लेकिन दुर्भाग्यवश कार्य करने के दौरान लोहे की रॉड उनके गर्दन में घुस गई, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें उपचार के लिए रीजनल अस्पताल कुरासिया लाया गया। जहां उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें अपोलो अस्पताल बिलासपुर रेफर किया गया, लेकिन बिलासपुर पहुंचने से पहले रास्ते में ही उनकी मौत हो गई।
यह हादसा खदान की सुरक्षा
व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। मजदूरों को सुरक्षा उपकरण व किट उपलब्ध कराए गए थे या नहीं, यह जांच का विषय है। अगर सुरक्षा के समुचित प्रबंध होते, तो शायद यह दर्दनाक हादसा टाला जा सकता था। इसके साथ ही घायल को हॉस्पिटल तक पहुंचाने के लिए कोई एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंची, जिसके कारण उसे स्कॉर्पियो वाहन से रीजनल अस्पताल तक ले जाना पड़ा ।
घटना के बाद माइंस प्रबंधन और मैनेजर की ओर से कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई. जो और भी दुर्भाग्यपूर्ण है। श्रमिकों की सुरक्षा व्यवस्था की अनदेखी गंभीर चिंता का विषय है। माईस प्रबंधन को मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे और इस मामले की निष्पक्ष जांच कर आवश्यक सुधार करने होंगे।
एक परिवार ने अपना कमाने वाला सदस्य खो दिया, जो कभी लौटकर नहीं आएगा। ऐसे में प्रशासन को इस घटना से सबक लेते हुए सुरक्षा मानकों की सख्ती से लागू करना होगा ताकि भविष्य में दुबारा ऐसी कोई घटना घटित न हो सके ।