संवाददाता: राम चन्द्र राजपूत
भक्त ध्रुव की कथा सुनकर श्रोता हुए भावुक
जीवो की मदद करने से भगवान सबसे जल्दी प्रसन्न हो जाते है: आचार्य
अजीतमल औरैया। विकासखंड अजीतमल के ग्राम अमावता के श्री राम जानकी मंदिर पर चल रही सात दिवसीय कथा के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने ध्रुव की कथा सुनी। कथा वाचक कमला कांत मिश्रा ने अत्यंत मार्मिक ढंग से ध्रुव के प्रसंग को प्रस्तुत किया, जिसने वहां उपस्थित सभी भक्तों को भावुक कर दिया। आज भागवत कथा के चौथे दिन परीक्षित शिवकांती अवस्थी और आनंद अवस्थी ने व्यास पीठ का पूजन अर्चन किया तथा कथावाचक का सम्मान किया।
व्यास कमला कांत मिश्रा ने आज भक्त ध्रुव की कथा का वर्णन विस्तार से किया। ध्रुव राजा उत्तानपाद और उनकी रानी सुनीति के पुत्र थे। राजा की दो रानियां सुनीति और सुरुचि थी, दोनों ने एक-एक पुत्र को जन्म दिया। जबकि राजा अपने दोनों पुत्रों से प्रेम करते थे, सुरुचि ध्रुव से प्रेम नहीं करती थीं।Crimediaries9 The real crime stories on YouTube
एक दिन जब ध्रुव दरबार में खेलते हुए पहुंचे और राजा ने उन्हें अपने पास बैठा लिया, तो सुरुचि ने उन्हें दूर कर दिया। आहत ध्रुव ने अपनी मां सुनीति से इस बारे में बताया, जिन्होंने उन्हें ईश्वर की शरण में जाने का मार्ग दिखाया। पांच वर्ष की आयु में ही ध्रुव ने अपनी मां की सलाह पर महल छोड़ दिया और तपस्या करने निकल पड़े।
मार्ग में देवऋषि नारद मिले, जिन्होंने ध्रुव की अटूट इच्छा को देखकर उन्हें ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करने की सलाह दी। ध्रुव ने छह माह तक एक पैर पर खड़े होकर कठिन तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन देने पर विवश हो गए और उनके तप की महानता को अमर बनाने के लिए सबसे चमकीले तारे का नाम भक्त ध्रुव के नाम पर ध्रुवतारा रख दिया।ध्रुव की इस भक्ति और तपस्या की कथा सुनकर भक्त भावविभोर हो उठे और पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। भगवान सबसे जल्दी प्रसन्न कैसे होते हैं आचार्य ने कहा जीवो की मदद करने से प्रभु सबसे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।