संतोषी माता मंदिर सब्जी मंडी बाबरपुर में सात दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन
भाई हो तो भरत जैसा,भरत मिलाप की कथा सुनकर भक्त हुए भाव विभोर
बाबरपुर में सात दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन, भरत जैसा,भरत मिलाप की कथा सुनकर भक्त हुए भाव विभोर
*रिपोर्ट दीपक अवस्थी पत्रकार 8057802581*
यह कार्यक्रम हिंदी नववर्ष के उपलक्ष्य में श्री रामकथा वाचक पंडित अंकुर शुक्ला के मुखार विंदु से श्रोता श्री राम कथा का श्रवण करेंगे, कथा में परीक्षित रामदास पोरवाल और उनकी धर्मपत्नी मंजू पोरवाल है।
कथा में श्री राम भरत मिलाप की भव्य झांकी निकाली गई *राम भक्त ले चला राम की निशानी* व्यास अंकुर शुक्ला ने भरत के विषय पर विस्तार से वर्णन किया। आज का प्रसाद वितरण श्री दुर्गा पूजा समिति के सौजन्स से भक्तों में वितरण कराया गया ।
श्री राम कथा में आज श्रोताओं ने भरत मिलाप की कथा का श्रवण किया।कथावाचक अंकुर शुक्ला ने कहा कि जब भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास हुआ और यह बात भरत को पता चली तो वह सब कुछ छोड़ कर भाई राम को लेने चित्रकूट पहुंच गए। उनके साथ अयोध्या के राजपरिवार के सदस्य, राजगुरु, मंत्री व माता सीता के पिता राजा जनक व मां सुनैना भी गई थीं। चित्रकूट में प्रभु राम, सीता और लक्ष्मण एक कुटिया बनाकर रह रहे थे। वही उनका भरत से मिलन हुआ।
इसके बाद जब भरत ने श्री राम से अयोध्या लौटने का आग्रह किया तो राम ने मना कर दिया। भरत अपने भाई राम से अधिक प्रेम के कारण क्षमा मांगते हुए अयोध्या का राज सिंहासन उन्हें देने की बात कही ताकि वह वापस हो सके। भरत के हट करने से गुरुजन भी निर्णय नहीं ले पा रहे थे। चुप्पी तोड़ते हुए जब राम ने अयोध्या जाने को मना कर स्व.पिता के वचनों से बंधे होने की वजह बताई तो भरत उनके वन में रहने की बात मान गए। अंत में प्रभु राम की व्यथा को समझते हुए उनके चरणों में बैठकर आज्ञा ली और राम की पादुका को लेकर अयोध्या लौटने का निर्णय लिया। कथा सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। इस मौके पर श्री रामलला सेवा समिति के सभी सदस्य,श्री दुर्गा सेवा समिति के सभी सदस्य, व्यापारी ,संभ्रांत लोग व नगरवासी मौजूद रहे।