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पखांजूर छत्तीसगढ़: कापसी में झोलाछाप डॉक्टर से महिला की मौत — जनप्रतिनिधियों की चुप्पी से साजिश की बू, परलकोट में फर्जी फार्मासिस्टों का गिरोह सक्रिय

 बड़ी खबर पखांजूर.......

कापसी में झोलाछाप डॉक्टर से महिला की मौत — जनप्रतिनिधियों की चुप्पी से साजिश की बू, परलकोट में फर्जी फार्मासिस्टों का गिरोह सक्रिय!


 रिपोर्ट -उत्तम बनिक, पखांजूर छत्तीसगढ़


कापसी/परलकोट: आम जनता की सेहत से खिलवाड़ करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों और फर्जी फार्मासिस्टों का खेल अब जानलेवा होता जा रहा है। ताजा मामला कापसी से सामने आया है, जहां झोलाछाप डॉक्टर जगदीश द्वारा इलाज के दौरान लगाए गए इंजेक्शन से एक महिला की मौत हो गई। लेकिन अब इस मामले ने नया मोड़ ले लिया है।


मृतका के परिजनों से डॉक्टर जगदीश की 'संवेदना भरी मुलाकात' के समय स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह मुलाकात सहानुभूति थी या मामले को रफा-दफा करने की कोशिश?


सूत्रों के अनुसार, डॉक्टर जगदीश बस्तर मेडिकल के संचालक हैं और उनका भारतीय जनता पार्टी से सीधा संबंध है। यही वजह मानी जा रही है कि अब तक उनके खिलाफ FIR तक दर्ज नहीं हुई। क्या राजनीतिक पहुंच इंसान की मौत से बड़ी है?


हालांकि, इस बीच जिला स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) ने कहा है कि उन्होंने मामले में संज्ञान लिया है और बस्तर मेडिकल को सील करने एवं मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई जल्द की जाएगी। लेकिन यह बयान जवाबदेही से बचाव है या कार्रवाई की शुरुआत, यह देखना अभी बाकी है


*परलकोट में 'डिग्री किराए पर' — फर्जी फार्मासिस्टों का जाल बिछा!*

उधर परलकोट में फर्जी फार्मासिस्टों के गिरोह ने जड़ें जमा ली हैं। कई दवा दुकानदारों के पास न तो खुद की डिग्री है, न ही फार्मासिस्ट डिप्लोमा, लेकिन फिर भी वे किसी और के प्रमाण-पत्र के सहारे बेखौफ दवा बेच रहे हैं।


लाइसेंस के नाम पर कागजों में खेल, और जमीनी हकीकत में स्वास्थ्य के साथ सीधा खिलवाड़। यह व्यापार न केवल दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह मौत को खुलेआम बुलावा देने जैसा है।




*प्रशासन की चुप्पी — मिलीभगत या नाकामी?*

इन दोनों मामलों में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। क्या ये चुप्पी राजनीतिक दबाव का नतीजा है? या फिर लाइसेंस देने में भी भ्रष्टाचार की जड़ें गहराई तक फैली हुई हैं?


अब सवाल जनता का है:

कब होगा दोषियों पर सख्त एक्शन?

कब बंद होगा फर्जी फार्मासिस्टों का खेल?

क्या स्वास्थ्य विभाग और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी?

अब देखना ये होगा कि प्रशासन और शासन न्याय दिलाने का काम करते हैं या सत्ता के रिश्तों की ढाल बनकर खामोश रहेंगे।

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